द एचडी न्यूज डेस्क : देश और दुनिया में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव सहित तमाम नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को नमन किया. इस दिन दुनिया के बहुत से देशों में महिला उपलब्धि को सराहा जाता है और कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
पूरे देश में आज यानी कि आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है और इसी कड़ी में The HD News राजधानी पटना के कोतवाली थाने में पदस्थापित एसआई रानी कुमारी की कहानी सुनाने जा रहा है. आखिरकार कितनी विकट परिस्थितियों के बाद रानी ने पुलिस की वर्दी को पाया है. पुलिस की वर्दी को पाने में उनके परिवार के किन-किन सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन भी रानी पटना के कोतवाली थाने में सुबह से बैठकर अपने केशों को सुलझाने में लगी हुई है. मूल रूप से नालंदा जिला के रहने वाली रानी बताती है की उनके पिता बिजनेस मैन थे और माँ स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी हुई थी. रानी बताती है कि मां के स्वास्थ विभाग से जुड़े होने के कारण उन्होंने पहले डॉक्टर बनने की सोची थी. हालांकि डॉक्टरी की पढ़ाई में सफल ना होने के बाद उन्होंने अपने भाई के कहने पर पुलिसिंग की ओर अपना रुख किया जिसमें उन्हें सफलता हाथ लगी. आखिरकार 2009 में उनकी बहाली दरोगा पद पर हो गई रानी कहती है कि मां को स्ट्रगल करते देख उनके मन में भावना आई एक दिन वह भी समाज में अपना और अपनी मां का नाम रोशन करेंगी.
इस मामले पर बोलते हुए रानी बताती है कि उनकी ट्रेनिंग इस प्रकार से दी गई है. ट्रेनिंग के बाद से इस फील्ड में काम करने का बड़ा उत्साह रहा. आज के समय में जब वह पटना के कोतवाली थाने में पदस्थापित है. इस थाने में अगर कोई महिला रोती हुई अपनी समस्याओं को लेकर आती है तो रानी उनकी समस्याओं को गौर से सुनकर प्रताड़ित महिलाओं को मुकम्मल सहायता प्रदान करती है.
रानी कहती हैं कि आज भी पटना के कई स्थानों में मौजूद पीड़ित महिलाओं की नहीं सुनी जाती. बावजूद इसके उनके पास जो भी महिला अपनी समस्या लेकर आती है. उस समस्या का हर संभव निदान करने के प्रयास में रानी जुटी रहती है. रानी कहती हैं कि महिलाओं को थाने तक अपनी समस्या लेकर आने में काफी समाजिक बाधाओं को पार करना. अगर उनकी समस्याओं का निदान नहीं किया गया तो वैसे ही महिलाएं काफी हताश और परेशान हो जाती है.
कितना करना पड़ा आर्थिक कठिनाइयों का सामना
रानी बताती है उनको और उनके परिवार को काफी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. एक कोरमा कमाने वाली वर्किंग वुमन थी तो बाबूजी भी थोड़ा बहुत कमा लेते हैं. कैसे में पूरे परिवार पर सभी बहनों की पढ़ाई और भाइयों की पढ़ाई का दबाव था. जैसे तैसे कर-कर मां और बाबूजी ने उन्हें और उनके सभी भाई बहनों को पढ़ाया. तब जाकर वह इस मुकाम तक पहुंची है.
परिवार और पति का कितना रहा सहयोग
रानी कैसी है उनको दरोगा बनाने में सबसे ज्यादा योगदान उनकी मां का रहा. आज उनकी मां के साथ साथ उनका पूरा परिवार और उनका समाज उन पर गर्व करता है. मां के द्वारा बताए गए पद चिन्हों पर चलकर उन्होंने अपनी ऑनेस्टी को बरकरार रखा है. रानी बताती है कि उनकी शादी 2008 में हुई. उनकी नौकरी 2009 में 2008 से लेकर उनके डॉक्टर पति आज तक उनके हर कदम पर उनका सहयोग करते हैं. एक मां होने के नाते भी आज वह अपनी ड्यूटी के साथ-साथ अपने बच्चों की जिम्मेदारी बखूबी उठा रहे हैं. ऐसे महिला पुलिसकर्मी को आज The HD News सलाम करता है.
अन्नु प्रकाश की रिपोर्ट