पटना : बिहार को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु के जीर्णोद्घार का काम पूरा हो गया है. शुक्रवार (31 जुलाई) को इसके पश्चिमी हिस्से के दो लेन से गाड़ियां चलने लगीं. पुल का उद्घाटन पटना से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दिल्ली से केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने किया.
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ये पुल डबल ईंजन सरकार के विकास का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि बिहार में बीएसपी (बिजली+सड़क+पानी) कोई मुद्दा नहीं है. आजादी के 58 साल बाद बिहार में गंगा पर केवल 4 पुल थे, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद 2 पुल और बने हैं और 12 पुल पर काम चल रहा है. इस तरह बिहार में गंगा पर 18 पुल हो जाएंगे.
इस मौके पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महात्मा गांधी सेतु से बिहार के लोगों का अलग लगाव है. क्योंकि यह उत्तर और दक्षिण बिहार की लाइफ लाइन है. डबल ईंजन की सरकार का राज्य को प्रमाणिक लाभ हो रहा है.
वहीं राम विलास पासवान ने कहा कि महात्मा गांधी सेतु पुल का आधा हिस्सा पटना और आधा हिस्सा हाजीपुर में है. मैं 1977 में जब मैं पहली बार हाजीपुर का सांसद बना तो पता चला कि जिन लोगों का स्टीमर गंगा में चलता था वे पुल नहीं बनने देना चाहते थे. मैंने इस बात को संसद में उठाया था. 1982 में इंदिरा गांधी ने इस पुल का उद्धाटन किया था.
पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने बताया कि उत्तर और दक्षिण बिहार की लाइफ लाइन माने जाने वाले गांधी सेतु के पुनरुद्घार का कार्य अब से तीन वर्ष पूर्व जुलाई 2017 में शुरू हुआ था. पश्चिमी दो लेन का जीर्णोद्घार का काम पूरा हो चुका है और बरसात के मौसम के बाद पूर्वी दो लेन के जीर्णोद्घार का कार्य प्रारम्भ किया जाएगा.
चारों लेन के पुनरुद्घार की प्राक्कलित राशि 1742. 01 करोड़ रुपये है. आवागमन के लिए खोले जा रहे पश्चिमी दो लेन के अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी उपस्थित रहेंगे. इस पुल की डिजाइन लाइफ एक सौ वर्ष है. यादव ने बताया कि सेतु के चारों लेन के पुनरुद्घार में कुल 66,360 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया जाना है.
पूर्वी दो लेन के जीर्णोद्घार लिए आवश्यक स्टील में से आधी मात्रा की खरीद की जा चुकी है. पूर्वी लेन का जीर्णोद्घार कार्य 18 माह में पूरा कर लिया जाएगा. आने वाले दिनों में पुल के चारो लेन पर गाड़ियां फर्राटे भरने लगेंगी और नागरिकों को बड़ी सुविधा होगी. उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में विभिन्न प्रकार की अनापत्ति प्राप्त करने में समय लगा और यातायात प्रबंधन एक समस्या थी. सरकार ने उचित ट्रैफिक प्रबंध कर मात्र दो लेन से ही आवागमन का प्रबंध किया और दो लेन का पुनरुद्घार कार्य जारी रखा.