PATNA: पटना में प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंन कहा कि अभी तक तीन दशक लालू और नीतीश का राज रहा है। जब लालू का राज रहा था सामाजिक न्याय की बात हुई। जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने आर्थिक विकास और दूसरे सामाजिक पहलुओं पर ध्यान दिया और बिहार का विकास किया। दोनों जो दावा कर रहे है उसमें कुछ सच्चाई जरूर है। इन तमाम दावों के बीच बिहार सबसे पीछे है। पूरे देश में सबसे पीछे है और उसको कोई झुठला नहीं सकता। अगर बिहार को अग्रणी श्रेणियों में आना है तो पुराने रास्ते पर नहीं चला जा सकता। उसके लिए नई सोच और नई प्रयास की जरूरत है। बिहार के सारे लोग जब तक मिल कर एक नई सोच और नई प्रयास नही करेंगे तब तक बिहार की दशा और दुर्दशा सही नहीं हो सकती। नई सोच के बारे में मेरी यह भूमिका है मैं किसी नई राजनीतिक पार्टी और राजनीति संगठन की घोषणा नही करने जा रहा हूं।
आने वाले 3-4 महीनों में मैं कई ऐसे लोगों से मिलूंगा जो बिहार को बदलने का जज्बा रखते हैं।90% लोग इस बात से अगले 3-4 महीनों में 17-18 हजार लोगों से मिलना और तमाम चर्चाएं करना है। अगर बड़ी संख्या में लोग एक साथ आएंगे और अगर उन्हें लगेगा कि किसी राजनीतिक पार्टी की जरूरत है तो राजनीतिक पार्टी की घोषणा की जाएगी। यह पार्टी प्रशांत किशोर की पार्टी नहीं होगी। 2 अक्टूबर से पश्चिमी चंपारण से 3000 किलोमीटर की पदयात्रा प्रशांत किशोर शुरू करेंगे। 8 महीने से 1 साल के बीच व्यक्तिगत पदयात्रा कर जन सुराज से लोगों को जोड़ेंगे। पहला उद्देश्य लोगो से मिलना उनको समझना और लोगों को जनसुराज से जोड़ना है।
बिहार में अभी कोई चुनाव नहीं है और अगर चुनाव लड़ना होता तो चुनाव से 6 महीने पहले और 1 साल पहले आकर चुनाव लड़ा जा सकता है। 4 साल पहले घोषणा करने की कोई जरूरत नहीं बनती। अगर पार्टी बनाई जाएगी तो प्रशांत किशोर के पार्टी नहीं होगी जो लोग साथ आएंगे उन सब की पार्टी होगी। बिहार में आने का मुख्य कारण बिहार सबसे गौरवशाली राज्य है लेकिन यहां की स्थिति बदहाल है। लगभग 3 दशक में दोनों नेताओं के प्रयास के बावजूद बिहार सबसे निचले पायदान पर हैं। जिनकी सरकार बिहार में उन्हीं की सरकार देश में है।नीति आयोग पर जब मुख्यमंत्री से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन्हें कुछ पता नहीं।
कांग्रेस को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा मैंने कांग्रेस को जो रास्ते बताएं कांग्रेस की उसमें सहमति थी लेकिन कांग्रेस के लोग चाहते थे कि प्रशांत किशोर कांग्रेस से जुड़े। मुझे लगा कि कांग्रेस से जुड़ कर मैं कुछ बेहतर नहीं कर सकता इसलिए मैंने मना कर दिया। जो भी काम मैंने 10 बरस तक अलग-अलग नेताओं के साथ किया आप उसी के हिसाब से मुझे जज करेंगे। मैं आने वाले समय में अपने कार्यों से सभी का विश्वास जीत लूंगा। अगर किसी को मेरी सीरियस पर शक है या डाउट है तो मैं उनको इतना ही कहूंगा कि मुझे समय दीजिए। नीतीश कुमार के संबंध पर प्रशांत किशोर ने कहा 2015 में मैंने नीतीश कुमार के साथ मैंने काम किया और नीतीश कुमार से व्यक्तिगत तौर पर मेरा कोई झगड़ा नहीं है लेकिन व्यक्तिगत रिश्ता होना एक बात और काम करने को लेकर सहमति होना दूसरी बात है। नीतीश कुमार जब दिल्ली आए थे तब मैंने नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी। उनके साथ खाना भी खाया था और उसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि मैं नीतीश कुमार के साथ जुड़ने जा रहा हूं। लेकिन मुख्यमंत्री से मिलने का मतलब यह नहीं कि हर बात पर हमारी सहमति है या हमने साथ में काम करने का तय किया है। 2 मई 2021 को हमें घोषणा की है कि जो काम पहले करता था वह अब नहीं करूंगा। मैंने 1 साल सोचने का समय लिया कि आगे मुझे क्या करना है। आने वाले कई साल तक मुझे पॉलीटिकल एक्टिविस्ट के रूप में ही देखा जाएगा। बिहार के चुनावों में जातीय समीकरण को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा अलग-अलग समय पर लोग जाती से ऊपर उठकर वोट करते रहे हैं। अगर हर लोग जाति पर वोट करता है तो नरेंद्र मोदी को एक वोट नहीं मिलना चाहिए। अगर जाति के आधार पर ही वोट मिलता है तो हर जात में अच्छे लोग हैं
। जो बदलने की इच्छा रखते है। मैं पूरा अपना तन बल समय बिहार को देने जा रहा हूँ।
जिसके साथ जनता का साथ है उसको पैसे की जरूरत नहीं होती अगर वोट है तो नोट का भी जुगाड़ हो जाता है। आगामी 10 वर्षों में बिहार अग्रणी राज्यों में शामिल हों उसके लिए नई सोच की जरूरत है और जिस रास्ते पर बिहार लगातार चली आ रही है उससे हम अग्रणी राज्यों में शामिल नहीं हो सकते। बिहार में सामाजिक और राजनीतिक जीवन से जुड़े हुए 17 से 18 हजार लोग जो इस बिहार की धरती से जुड़े हैं और जिनको बिहार के मुद्दों की समझ है ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया है और वह हमारे संपर्क में हैं लेकिन जब तक मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से नाम मिल लूं तब तक मैं कोई दावा नहीं कर सकता कि वह लोग हमारे साथ जुड़ेंगे अगर वह लोग मिलकर तय करेंगे कि एक पार्टी बनानी है तो प्रशांत किशोर भी उस पार्टी के मेंबर होंगे अभी फिलहाल पार्टी बनाने की कोई योजना नहीं है नीतीश कुमार मुझे तवज्जो ना दे तो मेरे लिए वह ज्यादा बेहतर है मुझे चुनाव लड़ना नहीं है इसीलिए मुझे नीतीश और लालू को तवज्जो देने की जरूरत नहीं है।जो लोग मेरे ऊपर टीका टिप्पणी कर रहे है वह अपना समय जाया कर रहे हैं। मेरी हस्ती इतनी बड़ी नहीं है।अगर नीतीश कुमार के पास कुछ बेहतर है तो उनसे भी सीखा जा सकता है और अगर उनके अनुभव का लाभ मुझे कुछ मिलेगा तो कोई नुकसान नहीं है।मैं नीतीश कुमार के साथ पिता पुत्र का रिश्ता ही रखा था लेकिन यह जरूरी नहीं कि मेरी अलग यात्रा नहीं हो सकती।मैं सब कुछ छोड़कर बिहार में कुछ करने के लिए शून्य से शुरू करना चाहता हूं जो एक कठिन काम है और मुझे इसका पूरा ज्ञान है लेकिन यह कठिन है इसीलिए मैं करने आया हूं।इस प्रयास में मैं कितना सफल होऊंगा मुझे नहीं पता लेकिन बाकि जनता मालिक है वह तय करें क्या करना है।मेरे सबसे बड़े आलोचक भी यह बात मानेंगे कि मुझे चुनाव लड़ने और लडवाने की थोड़ी बहुत जानकारी है। तेजस्वी यादव पर बोलने से प्रशांत किशोर ने परहेज किया।
पटना से विशाल की रिपोर्ट।