हजारीबाग : भीषण गर्मी से राहत दिलाने के लिए झारखंड सरकार के द्वारा विद्यालयों के समय में बदलाव किया गया. लेकिन, राहत से ज्यादा विद्यालयों की सुबह छह से दोपहर 12 बजे की नई समय सारिणी बच्चों के लिए आफत बन सकती है. खासकर, हाईस्कूल में पढऩे वाले करीब पांच लाख बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है. बच्चे दोपहर में छुट्टी के बाद लू की चपेट में आ सकते हैं.
दरअसल, सरकारी विद्यालयों में पढऩे वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों के होते हैं. हाई स्कूल में मध्याह्न भोजन की सुविधा भी नहीं होती. ऐसे में सुबह छह बजे उन्हें बासी खाना खाकर आना होगा या फिर छह घंटे तक विद्यालयों में भूखे पेट ही रहना होगा. दोपहर 12 बजे जब तापमान 40 डिग्री पहुंच चुका होगा तब इन्हें छुट्टी मिलेगी. लगभग एक बजे घर पहुंचेंगे. ऐसे में बच्चे लू की चपेट में आकर बीमार हो सकते हैं. वहीं स्कूलों में समय में किए गए बदलाव को लेकर शिक्षक संघों ने भी रोष जताया है. इसे पूरी तरह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है.
10-10 किलोमीटर दूर से आते हैं बच्चे
हजारीबाग में 108 हाई स्कूलों में करीब 15 हजार से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं. इनमें प्रखंड मुख्यालयों में ही कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां बच्चे 10-10 किलोमीटर दूर से पढऩे आते हैं. इचाक प्रखंड स्थित केएन प्लस टू हाई स्कूल में कालाद्वार गांव से बच्चे पढ़ाई करने आते हैं. गांव से स्कूल की दूरी 10 किलोमीटर है और इचाक के लिए पहली गाड़ी सुबह आठ बजे है. ऐसे में बच्चों को पैदल या साइकिल से ही सुबह पांच बजे स्कूल के लिए निकलना होगा. यहां के शिक्षक भी मानते हैं कि इतनी सुबह शायद ही बच्चों को भोजन नसीब होगा. इस वजह से बच्चों की उपस्थिति पर भी असर पड़ सकता है. इससे पहले के वर्षों में विद्यालय का समय सुबह 6:30 से 11:30 बजे तक था. इसमें भी गर्मी को देखते हुए कई बार बदलाव किया गया था.
खाली पेट रहना साबित हो सकता है जानलेवा
भीषण गर्मी में खाली पेट रहना बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. कोडरमा में कुछ दिन पहले लू लगने से हाई स्कूल ही छात्रा की मौत हो गई थी. चिकित्सक डा. एपी चैतन्या बताते हैं कि गर्मी में भूखे पेट रहना बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. सबसे पहले डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है. उनका शरीर अचानक गर्म हो सकता है. लू लग सकती है, जिससे बच्चे की जान तक जा सकती है.
बच्चों को विद्यालय में छह घंटे देने के नाम पर सरकार उनके साथ खिलवाड़ कर रही है. सुबह छह बजे से विद्यालय बुलाना बिल्कुल ही अव्यावहारिक फैसला है. किसी भी दूसरे राज्य में इस समय सारिणी का पालन नही किया जा रहा है. स्कूल में खाने की व्यवस्था नही होती है. ऐसे में बच्चे या तो स्कूल आएंगे ही नही या आएंगे तो बीमार पड़ेंगे. बच्चों की इतनी ङ्क्षचता है तो विद्यालय का समय सुबह नौ से तीन बजे कर देना चाहिए था, जिससे बच्चे सुबह स्कूल आते और गर्मी कम होने पर वापस जाते.