नई दिल्ली : अफगानिस्तान को लेकर दिल्ली में आठ देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की बैठक बुधवार को हुई, जिसमें Delhi Declaration Document लॉन्च किया गया. इस बैठक में सुरक्षा हालात, उसके क्षेत्रीय, वैश्विक प्रभाव आतंकवाद, कट्टरवाद और ड्रग्स के खतरे, मानवीय सहायता पर बातचीत की गई. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे. आठ देशों के एनएसए ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान का समर्थन दोहराया. साथ ही अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न हो, इस पर भी जोर दिया गया. सभी एनएसए ने कुंदुज, कंधार और काबुल आतंकी हमलों की निंदा करते हुए अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात के चलते वहां लोगों की पीड़ा पर गहरी चिंता जताई.
बैठक में अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकियों को पनाह देने, ट्रेनिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए ना हो, इस पर ज़ोर दिया गया. सभी आतंकवादी गतिविधियों की कड़े शब्दों में निंदा की गई और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया कि अफगानिस्तान कभी भी वैश्विक आतंकवाद के लिए पनाहगाह ना बने. क्षेत्र में कट्टरवाद, उग्रवाद, अलगाववाद और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे के खिलाफ सामूहिक सहयोग का आह्वान किया गया.
एनएसए बैठक में एक सही मायने में समावेशी सरकार बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया जो अफगानिस्तान के सभी लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व और देश में प्रमुख जातीय-राजनीतिक ताकतों सहित उनके समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हो. साथ ही जातीय-राजनीतिक ताकतों सहित उनके समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती हो. महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित हों.
बैठक में कहा गया कि मानवीय सहायता अफगानिस्तान को निर्बाध, प्रत्यक्ष और सुनिश्चित तरीके से मुहैया की जानी चाहिए और यह कि सहायता देश के भीतर अफगान समाज के सभी वर्गों में भेदभाव रहित तरीके से वितरित की जानी चाहिए. कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए अफगानिस्तान को सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता भी बैठक में दोहराई गई.