जहानाबाद : भले ही सरकार इस लॉकडाउन में गरीबों के बीच अनाज और राशन देने की बात कर रही हो. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. जहां छोटे-छोटे बच्चे पेट की आग बुझाने के मेढ़क खाने को मजबूर है. यह है जहानाबाद का नगर परिषद क्षेत्र का वार्ड संख्या-9 रामगढ़ इलाका जहां पेट की आग बुझाने के लिए छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चे गंदे पानी में उतरकर मेढ़क और पानी में पलने वाले जीव जंतु को खाने को विवश है.
इस संबंध में मेढ़क पकड़ रहे बच्चों ने बताया की लॉकडाउन के कारण काम काज बंद रहने से घर में खाने को कुछ नहीं. वहीं स्कूल बंद रहने से मध्यान भोजन भी नहीं मिल रहा है. जिसके वजह से हमलोग भूखे रह जा रहे है. भूख बर्दास्त नहीं होने से हमलोग मजबूरी में मेढ़क पकड़ कर खाने को विवश है. ताकि पेट की आग को राहत मिल सके.
बताते चलें कि जिला मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर बसा रामगढ़ महल्ला काफी पिछड़ा इलाका है. यहां अधिकांश लोगों दिहाड़ी मजदूरी का काम करते है. इस इलाके के लोग दिनभर काम करते है और शाम में मजदूरी से मिले पैसे से ही घर में चूल्हा जलता है. गौरतलब हो कि कोरोना संक्रमण को लेकर पूरे देश सहित जहानाबाद में भी लॉकडाउन लागू है. जिसके कारण सबसे ज्यादा परेशानी इन गरीब परिवार के सामने खाने-पीने की समस्या उत्पन हो गई है. हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा गरीब असहाय लोगों के लिए राहत कैंप चलाया जा रहा है. लेकिन एक बड़ी आबादी होने के कारण बहुत से लोग इस राहत से बंचित हो जा रहे है.

ऐसे में सवाल उठता है कि जहां कोरोना जैसे खतरनाक बीमारी की शुरुआत चीन से हुई थी. लोगों का अनुमान है कि चीन में लोग अप्रकृतिक जीव जंतु को खा रहे थे. जिसके कारण यह बीमारी पूरे दुनिया मे फैली ऐसे में इन बच्चों के द्वारा खाए जा रहे जीव जंतु से महामारी फैलने का खतरा भी बना हुआ है. वहीं सरकार के द्वारा गरीबों तक राहत पहुंचाने की बात भी बेईमानी लगती है.
मुजफ्फर ईमाम की रिपोर्ट