PATNA : जाति आधारित गणना को लेकर नीतीश सरकार को बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। बता दें कि बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद अब राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले में सुनवाई कल होनी थी ,लेकिन जस्टिस संजय करोल द्वारा खुद को इस मामले से अलग करने के बाद सुनवाई टल गई थी। और आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसको लेकर राज्य सरकार को कोई उम्मीद है की सुप्रीम कोर्ट फिर से जाति आधारित गणना शुरू करने की अनुमति दे सकती है।
राज्य सरकार ने पटना हाई कोर्ट द्वारा 3 जुलाई को सुनवाई करने संबंधी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं पटना हाईकोर्ट के 4 मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा है कि जातीय जनगणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक जनादेश है।
बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 15 कहता है कि राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं करेगा। वहीं अनुच्छेद 16 कहता है कि राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में नियुक्ति के संबंध में सभी के लिए समान अवसर होंगे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के पहले आदेश के बाद पटना हाइकोर्ट ने इसी महीने चार मई को अंतरिम फैसला देते हुए जाति गणना पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था।
इसके साथ ही हाइकोर्ट के फैसले को बिहार सरकार ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया। वहीं बिहार सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। लेकिन संजय करोल ने खुद को इस मामले से अलग करने के बाद अब दूसरी पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए गुरुवार को सूचीबद्ध करने का आग्रह को पीठ ने स्वीकार कर लिया।
पटना से विशाल भारद्वाज की रिपोर्ट