नई दिल्ली : नोटिस पीरियड में कर्मचारियों के सेवा देने पर भुगतान करने, ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए कर्मचारियों से अतिरिक्त प्रीमियम लेने और कर्मचारियों के मोबाइल फोन बिल के भुगतान करने पर अब एम्पलॉयर को जीएसटी देना होगा. इनकम टैक्स विभाग के अथॉरिटी फॉ़र एडवांस रुलिंग ने ये कहा है.
नोटिस पे पर जीएसटी
अब आपको विस्तार से खबर समझाते हैं. दरअसल अगर आप जहां नौकरी कर रहे हैं और वहां आपने इस्तीफा दे दिया है. नोटिस पीरियड के तहत कंपनी में काम कर रहे हैं. नोटिस पीरियड के दिनों में काम करने के लिये कंपनी आपको पैसे का भुगतान करती है. तो अथॉरिटी फॉ़र एडवांस रुलिंग के मुताबिक इस रकम पर कंपनी को जीएसटी चुकानो होगा. यही नहीं कंपनी ने ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखा है और उसके प्रीमियम का एक हिस्सा अपने कर्मचारी से वसूलती है तो उस अतिरिक्त प्रीमियम रकम पर भी कंपनी को जीएसटी का भुगतान करना होगा. इसके अलावा मोबाइल बिल का भुगतान कंपनी करती है तो उस पर भी जीएसटी देना होगा. जबकि मोबाइल बिल पर पहले से ही जीएसटी देना होता है.
कंपनियां कर्मचारियों पर डालेंगी भार
अथॉरिटी फॉ़र एडवांस रुलिंग के आदेश के मुताबिक इन सेवाओं पर जीएसटी कंपनियों को देना होगा. पर जाहिर है इन सेवाओं के लिये कंपनियों को जीएसटी देना पड़ा तो वो अपने कर्मचारियों से ही वसूलेगी. यानि कर्मचारियों की जेब पर अथॉरिटी फॉ़र एडवांस रुलिंग के इस आदेश के चलते अतिरिक्त भार पड़ने वाला है.
जानकार फैसले पर जता रहे हैरानी
अथॉरिटी फॉ़र एडवांस रुलिंग के आदेश पर आईसीएआई के पूर्व प्रेसीडेंट वेद जैन ने कहा कि ये आदेश बेहद जटिल है. किसी भी एम्पलॉयर और एम्पलॉय के बीच का रिश्ता सेवा नहीं है. एम्पलॉयर द्वारा अपने एम्पलॉय को दिया जाने वाली सेवाएं जीएसटी के दायरे से बाहर आती है. अगर एम्पलॉयर अपने कर्मचारियों से इन सेवाओं के लिये रिकवरी करता है तो उन दोनों के आपसी तालमेल का हिस्सा है इसलिये इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रहना चाहिए.