पटना ब्यूरो
पटना: बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ड़ा मदन मोहन झा ने राज्य सरकार से शिक्षक संघों से वार्ता कर स्थायी रुप से समस्या का समाधान निकालने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि 29 मई के पूर्व शिक्षकों को योगदान देने का सरकारी फरमान एक बिना सोचे समझे लिया गया फैसला है। लोकतंत्र में बगैर संवाद के किसी प्रकार का आदेश का निर्गमन तानाशाही माना जाता है। नीतीश सरकार से अपील की है कि सभी शिक्षक संघों के साथ वार्ता कर एक स्थायी निदान का विकल्प तैयार किया जाए। जिससे राज्य भर के शिक्षकों को होने वाली परेशानियों का अंत किया जा सके।
डॉ मदन मोहन झा ने कहा है कि बिहार सरकार की नीतियां आरंभ से शिक्षकों के प्रति कठोर रही है। शिक्षकों के प्रति अड़ियल रवैए के कारण ही आज शिक्षक हड़ताल करने पर विवश है। लोकतंत्र में हड़ताल किसी प्रकार का क्राइम नहीं होता है, जिसके एवज में सरकार उन्हें पनिशमेंट देने पर तुली हुई है। शिक्षकों के मुद्दे पर सरकार को सजग होकर समुचित तरीके से निदान खोजना होगा। शिक्षक प्रदेश के भविष्य को तैयार करने वाला आधारस्तंभ होता है मगर राज्य सरकार के कुछ अधिकारी शिक्षकों का शोषण करना अपना अधिकार समझते हैं। उन्होंने नए शिक्षकों के भर्ती मामले पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब तक समान काम के बदले समान वेतन का मामला सुलझ नहीं जाता है। तब तक नए शिक्षकों की भर्ती सिर्फ सरकार की ढकोसला नीति का परिचायक है। उन्होंने राज्य सरकार से अपील किया है कि अभी भी समय है शिक्षक संघों के साथ सम्मानजनक वार्ता कर सरकार इस मामले में सार्थक फैसला ले।