नई दिल्ली : LIC ग्राहकों के लिए एक जरुरी खबर है. क्योंकि सरकार सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) नियमों में बड़ा बदलाव की योजना बना रही है. दरअसल, सरकार LIC की मेगा लिस्टिंग की सफलता सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. यह इस वित्तीय वर्ष के अंत तक सभी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) की जननी के आगे सभी बाधाओं को दूर करने में व्यस्त है. सरकार कानून में बदलाव करने की योजना बना रही है, जो LIC को अपने अधिशेष (surplus) का केवल 5% शेयरधारकों के फंड में भुगतान करने की अनुमति देता है, जबकि 95% पॉलिसीधारकों के फंड में जाता है. इसका उपयोग योग्य जीवन बीमा पॉलिसियों पर बोनस का भुगतान करने के लिए किया जाता है.
केंद्र सरकार कथित तौर पर LIC को बीमा अधिनियम द्वारा शासित निजी खिलाड़ियों के बराबर बनाने की योजना बना रही है, जो अधिशेष का 10% शेयरधारकों के फंड में स्थानांतरित करने की अनुमति देता है, जबकि 90% पॉलिसीधारकों के फंड में जाता है. यह एक ऐसा कदम जिससे ऐसा माना जा रहा है कि शेयरधारकों को फायदा होगा, लेकिन मौजूदा भागीदार पॉलिसी धारकों के बोनस को प्रभावित कर सकता है.
सरकारी सूत्रों के हवाले से जिन्होंने कहा- “यह स्वाभाविक है कि निवेशक एक समान स्ट्रक्चर की अपेक्षा करेंगे. हम कुछ अन्य बदलावों के साथ-साथ विस्तृत ब्यौरे पर काम कर रहे हैं.” हालांकि, टर्म इंश्योरेंस, गारंटीड रिटर्न पॉलिसी और यूनिट-लिंक्ड प्लान वाले पॉलिसी धारक लाभांश वितरण नीति से प्रभावित नहीं होंगे. केंद्र को उम्मीद है कि ऐसा करने से IPO को आकर्षक रखते हुए शेयरधारकों और पॉलिसीधारकों के हितों में सामंजस्य बिठाना संभव होगा.
वहीं बेक्सले के सलाहकारों के प्रबंध निदेशक उत्कर्ष सिन्हा का कहना है – “LIC का IPO भारतीय बाजारों के लिए एसिड टेस्ट है. LIC अभूतपूर्व पैमाने का एक संगठन है और इसका प्रदर्शन न केवल IPO पर बल्कि इसकी लिस्टिंग के बाद भारतीय बाजारों के बारे में सार्वजनिक, संस्थागत और एफआईआई भावनाओं का एक महत्वपूर्ण सार्थक बैरोमीटर होगा.”