GAYA – धार्मिक शहर गयाजी में पितृपक्ष मेला के दौरान देव दिवाली मनाई गई । इस दौरान विष्णुपद मंदिर और फल्गु तट के देवघाट का अद्भुत नजारा देखने को मिला । कल देर संध्या देवघाट सहित पूरा मेला परिसर रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था । अपने पितरों को खुश करने के लिए इस तरह का उत्सव मनाने की पौराणिक परंपरा है । ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर भी यहां पधारते हैं, 17 दिनों के इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान श्रद्धालु अपने पितरों को खुश करने के लिए देव दिवाली का उत्सव मनाते हैं । इस दौरान पवित्र फल्गु नदी के तट पर दिए जलाए जाते हैं और फल्गु नदी में दीपदान करने की परंपरा है ।
इस संबंध में पंडित राकेश शास्त्री ने बताया कि गयाजी तीर्थ में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए श्रद्धालु जब कदम रखते हैं, तब उनके पूर्वजों की आत्मा खुश हो जाती है । इसलिए कि उनके कुल के लोग उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए यहां पधारते हैं, यही वजह है कि यहां देव दिवाली मनाने की परंपरा है । उन्होंने बताया कि इस दिन पिंडदानियों ने अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी सहित अन्य पितरों का दीपदान किया और उनके नाम पर दीप जलाया । ऐसा माना जाता है कि इस तरह का कर्मकांड करने से पितर खुश हो जाते हैं ।
वही हैदराबाद से आए एक श्रद्धालु ने बताया कि अपने पितरों को स्वर्ग का रास्ता प्रशस्त करने के लिए दिवाली मना रहे हैं, ताकि उनके रास्ते में रोशनी कायम हो सके । साथ ही हम अपने पितरों को यह भी संदेश दे रहे हैं कि आपके आशीर्वाद से हमलोग सभी प्रसन्नता पूर्वक जीवन जी रहे हैं । पिंडदान करने के बाद जाते-जाते आतिशबाजी कर हम यह संदेश दे रहे हैं कि आपकी संतान खुश है । आप लोग भी जहां रहे आपकी आत्मा को शांति मिले । पितृ दीपावली का यही संदेश है ।