-राँची आदिवासी हॉस्टल में निःशुल्क लाइब्रेरी का हुआ शुभारंभ
-छात्र-छात्राओं में पढ़ने लिखने की रुचि बनी रहे: बंधु तिर्की
झारखण्ड: राजधानी राँची में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा के उचित साधन उपलब्ध कराने की पहल लगातार की जा रही है. इसी कड़ी में सोमवार को राँची आदिवासी हॉस्टल में निःशुल्क लाइब्रेरी का शुभारंभ किया गया. लाइब्रेरी का उद्घाटन झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष सह पूर्व मंत्री बंधु तिर्की एवं मांडर विधानसभा से नव निर्वाचित विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने किया.
लाइब्रेरी का उद्देश्य है कि आदिवासी बच्चों में पढ़ने-लिखने की रुचि निरंतर बनी रहे. जो निर्धन बच्चे किताबें नहीं खरीद सकते, वे भी यहां से किताबें पढ़ सकें.
लाइब्रेरी में भारतीय भाषाओं के साहित्य, विज्ञान, पर्यावरण, इतिहास, कला, संदर्भ ग्रंथ, शब्दकोश व जीवनियां उपलब्ध रहेंगीं. इसके अलावा झारखंड का इतिहास, क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकें, कला, संस्कृति, कहानी, कविता, नाटक, लोककथाएं और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए किताबें भी उपलब्ध रहेगी. हालांकि संग्रह में ज्यादातर प्रतियोगिता परीक्षा से जुड़ी किताबों को रखने पर ही बल दिया गया है.
लाइब्रेरी को लेकर बंधु तिर्की ने बताया कि आदिवासी छात्र – छात्राओं के सम्पूर्ण विकास के लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं. बच्चों के सुविधा हेतु अभी किताबें उपलब्ध की गई है. जल्द ही इस लाइब्रेरी में 15 कंप्यूटर, 15 टेबल व कुर्शी, तीन एलईडी टीवी, एक प्रिंटर एवं ज़ेरॉक्स मशीन भी उपलब्ध कराए जाएंगे. लाइब्रेरी का उद्देश्य किताबों का सिर्फ संग्रह कर रखना ही नहीं है. बच्चे कुछ सीख सकें, उनमें पढ़ने-लिखने की आदत बने, किताबों की संस्कृति विकसित हो, यही सोच है.
शिल्पी नेहा तिर्की ने बताया कि छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य निर्माण में शिक्षा व्यवस्था का सुदृढ़ होना बेहद महत्व रखता है. जीवन में पुस्तकों से प्रेम ज़रूरी है. किताबों से दोस्ती हमें वैचारिक रूप से समृद्ध बनाती है. शिल्पी ने बताया कि समाज में इस बात पर ज़ोर देना होगा की हर गली – मोहल्ले में लाइब्रेरी हो. विद्यार्थियों को साधन उपलब्ध होंगे तो वे निश्चित अपने और समाज के बेहतर निर्माण में भागीदारी बनेंगे. उन्होंने कहा कि पढ़ने-लिखने की परंपरा को बढ़ाना होगा. पढ़ लिखकर ही सफलता की ऊंचाई को छुआ जा सकता है.
-झारखण्ड से गौरी रानी की रिपोर्ट