द एचडी न्यूज डेस्क : भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने एक बड़ी बात कह दी है. उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की व्यवस्था कोई नहीं है. यही संविधान सम्मत व्यवस्था है, और यह व्यवस्था पहले चार आम चुनावों में बिलकुल ठीक ढंग से चली भी. सन् 1952, 1957, 1962 और 1967 का चुनाव पूर्णत इसी व्यवस्था के अन्तर्गत संपन्न हुआ. सन् 1967 में जब पंडित दीन दयाल उपाध्याय और डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रयास से जगह-जगह संयुक्त विधायक दल की संविद सरकारें बनी तब कांगेस पार्टी की सरकारों का कोलकाता से लेकर अमृतसर तक सफाया हो गया.
अटल बिहारी वाजपेयी अपने भाषणों में भी कहा करते थे कि पंजाब मेल में बैठकर हावड़ा से अमृतसर तक चले जाइए. आपको कहीं कांग्रेस के शासित राज्य से होकर नहीं जाना पड़ेगा. जब सभी राज्यों में संविद सरकारें आ गईं तब वैसी स्थिति में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने जगह-जगह कांग्रेस विरोधी सरकारों को गिराना, राष्ट्रपति शासन लगाना, मध्यावधि चुनाव कराना ये सारी गड़बड़ियां भारी पैमाने पर की जिसके कारण यह व्यवस्था बिगड़ गई है. इसे फिर से वापस तत्काल लागू करना चाहिए.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट