रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) एक बार फिर से विवादों में है. इसे संयोग कहें अथवा अफसरों की कारस्तानी, आयोग की ज्यादातर परीक्षाओं, परिणाम और नियुक्तियों पर अंगुलियां उठी हैं. गड़बड़ियों के चलते कुछ लोग जेल गए और कई अभी भी जांच झेल रहे हैं. उम्मीद थी कि इस बार परीक्षा के बाद आयोग पर ऐसी कोई अंगुली नहीं उठेगी, लेकिन फिर गड़बड़झाला होने के संदेह में अभ्यर्थी सड़क पर उतर चुके हैं. इसे लेकर राजभवन गंभीर है और आयोग के चेयरमैन को तलब कर पूरी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. आयोग की तरफ से सफाई दी गई है, लेकिन शायद ही यह अभ्यर्थियों के गले उतरे.
आयोग का कहना है कि एक ही क्रम से कुछ अभ्यर्थियों का सफल होना कोई बड़ा मामला नहीं है. फिर भी वह उसकी जांच करवाएंगे, लेकिन इसके लिए परीक्षाफल रद करने का सवाल नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है अगर जांच में वाकई यह पाया गया कि गड़बड़ी हुई है तब क्या होगा? क्या परीक्षा रद होगी? क्या जिम्मेदार लोग कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएंगे? क्या आंदोलित अभ्यर्थी आयोग के स्पष्टीकरण के बाद शांत हो जाएंगे?
शुरुआत से ही जेपीएससी की परीक्षाओं का इतिहास दागदार रहा है. आयोग के पहले अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद को गड़बड़ी के आरोपों की वजह से जेल तक की हवा खानी पड़ी. आयोग के कई सदस्य अभी भी जांच के घेरे में हैं. सीबीआई इन आरोपों की जांच कर रही है और इसमें सत्यता भी पाई गई है. आयोग से चयनित दूसरे बैच के अधिकारियों को तो इस वजह से सेवा तक से हटाया गया था. बाद में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई से रोक हटी. ताजा विवाद आयोग की हालिया परीक्षा को लेकर है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसमें बड़े पैमाने पर धांधली हुई है.