बिहार की राजनीति इस महीने की 15 तारीख से लेकर अगले महीने की 14 जनवरी तक खास रहने वाली है। भले खरमास के इस महीने को किसी भी काम के लिए शुभ न माना जाता हो, लेकिन बिहार से लेकर केंद्र सरकार तक, इसी महीने में अहम फैसले लिए जाएंगे। राजनीतिक गतिविधियां काफी बढ़ी रहेंगी। बिहार के मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरों पर फैसला इसी माह होना है। केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार का भी फैसला होना है, जदयू के साथ पुराने साथियों का जुड़ना, राज्यपाल के द्वारा विधान परिषद मनोनयन के लिए नाम का फाइनल होना, ये सब कुछ होगा इसी महीने में, लेकिन मुहर लगेगी अगले महीने।
दिसम्बर की 15 तारीख से लेकर जनवरी की 14 तारीख तक खरमास का महीना होता है। माना जाता है कि सूर्य भगवान अपने मित्र गुरु की राशि धनु में प्रवेश कर जाते हैं। शास्त्रों के मुताबिक सूर्य जबतक गुरु की राशि धनु में रहते हैं, तब तक का समय खरमास कहलाता है। खरमास को शून्य का महीना भी कहा जाता है। यही कारण है कि इस पूरे महीने में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। लेकिन हाल में राजनीतिक गतिविधियां इतनी रुकी रहीं कि इस महीने कई फैसले लेने ही होंगे, ताकि केंद्र से लेकर बिहार तक की सरकार सुचारु रूप से चलती रहे। कई राजनीतिक पार्टियों को अपने संगठन को सुदृढ़ कर नए तरीके से गठन करना है। ऐसे में इसी महीने सभी फैसले लेने होंगे और अगले महीने इस पर मुहर लगेगी।
बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार
17वीं विधानसभा चुनाव के बाद महज 15 लोगों के साथ सीएम नीतीश कुमार की नई मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी। अभी उन्हें 21 और नए मंत्रियों को मंत्रिमंडल में लाना है। ऐसे में नए चेहरों पर फैसला इसी महीने में होगा, ताकि पुराने मंत्रियों से विभागों का भार कम किया जा सके।
राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनयन
राज्यपाल कोटे से विधान परिषद सदस्यों के मनोनयन की बात अटकी हुई है। अब इसपर फैसला इसी महीने में लेना होगा। क्योंकि बिना किसी सदन के सदस्य बने अशोक चौधरी और मुकेश सहनी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं। नए एमएलसी के लिए चयन का काम इसी महीने में होना है।