गोपालगंज: एक ओर जहां लोग धर्म के नाम पर आये दिन एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं, ऐसे में अगर कोई व्यक्ति दूसरे धर्म के व्यक्ति की जान बचाने के लिए अपना खून दान करें तो इससे बढ़कर इंसानियत का तकाजा और कुछ हो ही नहीं सकता। वह भी लॉकडाउन के ऐसे समय में जब एक मुस्लिम युवक माहे पाक रमजान का फर्ज रोजा तोड़कर अपना खून हिंदू धर्म की महिला को दान करता है। जिले के सरेया मोहल्ले के निवासी म. अमन उर्फ अमानुल्लाह ने अपना फर्ज रोजा तोड़कर हिंदू संप्रदाय की किडनी के महिला उषा देवी की जान बचाने के लिए रक्तदान किया है। जिसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के फुलवरिया की उषा देवी किडनी की मरीज है। डायलेसिस के लिए सदर अस्पताल में लाया गया था। महिला को गत चार दिनों से बी-पॉजिटिव रक्त की आवश्यकता थी। ब्लड बैंक व अन्य स्थानों पर परिजनों ने काफी तलाश की लेकिन सफलता नहीं मिली। इस बीच महिला की हालत धीरे-धीरे खराब होती जा रही थी। बता दें कि सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में खून स्टॉक में नहीं था। जब इसकी जानकारी म. अमन उर्फ अमानुल्लाह को मिली तो, उन्होंने मानवता की खातिर धर्म की रोजा को रद्द कर महिला की जान बचाने के लिए खून देने की खातिर तैयार हो गया। म. अमन उर्फ अमानुल्लाह ने गोपालगंज सदर अस्पताल पहुंचकर अपना खून दिया। जिसके चलते महिला की जान बच गई.
वहीं दूसरे रोजेदार म. गुड्डू ने थैलेसीमिया पीड़ित पांच साल के बच्चे के लिए रक्तदान किया। इन दोनों रोजेदारों के रक्तदान करने के बाद हर तरफ वहावाही हो रही है। म. गुड्डू ने बताया कि लॉकडाउन में खून के अभाव में किसी की जान न चली जाय, इसलिए रोजा तोड़कर रक्तदान किया। एक और रोजेदार मो गुड्डु ने बताया कि
मुझे जैसे ही पता चला कि एक बच्चे को ब्लड की जरूरत है। मैं रोजा था। तुरंत सरकारी अस्पताल में आया। लॉकडाउन में कोई घर से नहीं निकल रहा है लेकिन जैसे तैसे आया। डॉक्टरों से कहा कि रोजा तोड़े बिना ही रक्तदान करूंगा, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि पहले रोजा तोड़िये, फिर रक्तदान कीजिए। मेरे लिए रोजा का फर्ज से ज्यादा जरूरी था बच्चे की जान बचाना, इसलिए रक्तदान किया। जिंदगी रही तो आगे भी रोजा रख कर पूरा कर लिया जायेगा।
वहीं देशप्रेमी ब्लड डोनर टीम के अध्यक्ष नन्हूजी प्रसाद कहते हैं, कोरोना को लेकर आजकल कोई भी घर से नहीं निकल रहा है। सदर अस्पताल में किडनी की पेसेंट उषा देवी व थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को ब्लड नहीं मिल रहा था। हमने ग्रुप में मैसेज किया। जिसके बाद म. गुड्डू ने रोजा तोड़कर बच्चे के लिए रक्तदान किया वहीं म. अमन उर्फ अमानुल्लाह ने रोजा तोड़ा और उषा देवी के लिए बी-पॉजिटिव ब्लड डोनेट किया। यह समाज के लिए एक मिसाल है। उषा देवी के पुत्र गोविंद कुमा ने बताया कि मां को किडनी का प्रॉब्लम है। उन्हें ब्लड की आवश्यकता थी। एक सप्ताह पहले हमने पटना में दिया था। फिर ब्लड की जरूरत पड़ी तो सदर अस्पताल में आया। यहां ब्लड नहीं था लेकिन एक व्यक्ति म. अमन उर्फ अमानुल्लाह मिले, जिन्होंने ब्लड देकर मेरी मां की जान बचाई।