द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार विधानसभा चुनाव का प्रचार वादों का पिटारा बनता जा रहा है. जनता कन्फ्यूज है, समझ में नहीं आ रहा है किस के वादे पर कितना यकीन किया जाए. तेजस्वी यादव बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर विपक्ष पर हमलावर हैं. हर सभा में कहते फिर रहे हैं कि मेरी सरकार बनी तो पहली कलम से 10 लाख युवाओं को रोजगार देने का फैसला करेंगे. इधर, नीतीश कुमार जनता से वादा कर रहे हैं कि आगे मौका मिला तो सबको काम शुरू करने के लिए 10 लाख की आर्थिक सहायता देंगे.
उन्होंने कई सभाओं में कहा है कि अभी अनूसुचित जाति/जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को काम शुरू करने के लिए दस लाख देते हैं. इसमें पांच लाख सहायता और पांच लाख ऋण दिया जाता है, जिस पर टैक्स नहीं लगता. आगे मौका दीजिएगा सबके लिए इस तरह की व्यवस्था करेंगे.जदयू ने इसबार अपना घोषणा पत्र निश्चय पत्र 2020 के नाम से जारी किया है. इसमें युवा शक्ति बिहार की प्रगति, सशक्त महिला, सक्षम महिला, हर खेत में सिंचाई का पानी, स्वच्छ गांव-समृद्ध गांव, स्वच्छ शहर-विकसित शहर, सुलभ संपर्कता और सबके लिए स्वास्थ्य सुविधा को प्रमुख बताया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछड़ा वोट बैंक की गोलबंदी के लिए जनसंख्या आधारित आरक्षण की बात कह दी है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या आधारित आरक्षण लागू होना चाहिए.राजद ने अपने घोषणा पत्र में बिहार के बेरोजगार युवाओं को 10 लाख नौकरी देने, संविदा प्रथा को खत्मो कर सभी कर्मचारियों को स्थायी करने और समान काम का समान वेतन देने, सभी विभागों में निजीकरण को समाप्त करने, नियोजित शिक्षकों, वेतनमान कार्यपालक सहायकों, लाइब्रेरियन उर्दू शिक्षकों की बहाली करने, सरकारी नौकरियों में नि:शुल्क आवेदन और परीक्षा केंद्र तक की यात्रा मुफ्त, हेल्थ केयर सेक्टर में निजी एवं असंगठित क्षेत्रों के माध्यम से प्रत्यक्ष नौकरियों व परोक्ष रोजगार के अवसर देने, जीविका कैडरों को नियमित वेतनमान पर स्थायी नौकरी के साथ समूहों के सदस्यों को ब्याज मुक्त ऋण देने, बेरोजगार युवाओं को 1500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने, सरकारी नौकरियों के 85 प्रतिशत पद बिहार के युवाओं के लिए आरक्षित करने और किसानों का कर्ज माफ करने के लुभावने वादे किए हैं.