PATNA: दो दिन पहले द एच डी न्यूज पर एक खबर का प्रकाशन बड़ी ही प्रमुखता के साथ दिखाया गया था। जिसमें दिखाया गया था कि दो बच्चों को टीबी की बीमारी से खु चूकि एक बेबस और लाचार मां अपनी तीसरी 11 साल की बीमार बेटी को लेकर अस्पताल दर अस्पताल चक्कर काट रही है। मगर उसे न तो बेड मिला न ही कोई समाधान। आम आदमी पार्टी प्रवक्ता बबलू प्रकाश की मदद से पटना के सभी अस्पताल ने भर्ती लेने से मना कर दिया था। मगर खबर दिखाए जाने के 24 घंटे बाद ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की घंटी बजनी शुरू हो गई। पीड़ित परिवार को न्याय के साथ एनएमसीएच में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। डाक्टरों की निगरानी में समुचित दवा भी दी जा रही है। पीड़ित परिवार सहित आम आदमी पार्टी प्रवक्ता सहित कई नेताओं ने द एचडी न्यूज को धन्यवाद दिया है।
आपको एक बार फिर बता दें कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने हाल ही में दावा किया था कि राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब निजी क्षेत्र के चयनित अस्पतालों में भी गंभीर टीबी रोगियों को मुफ्त या सीमित खर्च पर इलाज की सुविधा मिलेगी। विभाग चयनित निजी अस्पतालों में ड्रग रेजिस्टेंट (डीआर) सेंटर खोलेगा, ताकि वहां ऐसे मरीजों का मुफ्त या सीमित खर्च पर बेहतर उपचार मिल सके। टीबी की बीमारी को 2025 तक खत्म किया जा सके,
लेकिन पटना के अम्बेडकर कॉलोनी, संदलपुर में रहने वाली एक दलित गरीब महिला किरण देवी की 11 वर्षीय बेटी रितिक जो सात महीनों से टीबी की बीमारी से ग्रसित थी। पीड़ित बच्ची को इलाज कराने के लिए पटना के बड़े अस्पताल एनएमसीएच लेकर गया। दुर्भाग्य की बात है कि बीमार लड़की को भर्ती नही किया गया।
अस्पताल प्रशासन ने बच्ची को पहले आकस्मिक विभाग में स्थान्तरण किया। आकस्मिक विभाग के चिकित्सक ने मरीज को शिशु विभाग में यह कहते हुए स्थान्तरित कर दिया कि पीड़ित की उम्र 11 साल है। शिशु विभाग ने पीड़ित को यक्ष्मा केंद्र, अगमकुंआ, पटना भेज दिया और कहा कि मरीज की अन्य मरीज के साथ नही रख सकते हैं। संक्रमण फैलने का खतरा है।यक्ष्मा केंद्र ने पीड़ित लड़की को भर्ती नही किया और कहा कि दिसम्बर 2021 से टीबी मरीजो को भर्ती करने की व्यवस्था खत्म कर दिया गया है।
पटना से कुमार गौतम की रिपोर्ट