PATNA : फोर व्हीलर जिसे हिंदी में चार चक्का कहते है. आमबोल चाल की भाषा में कार के रूप में जाना जाता है. घर में एक कार हो इस सपने को बहुत लोगों ने साकार किया. बहुत लोग इस सपने को साकार करने के लिए मेहनत कर रहे हैं लेकिन क्या दहेज के रूप में कार किसी शादी शुदा जिंदगी का अंत हो सकता है. जी हां हो सकता है, हम बात कर रहे हैं एक ऐसे दहेज लोभी परिवार की. एक ऐसी नई नवेली दुल्हन की जिसके हाथों की मेंहदी का रंग फीका भी नहीं हुआ था. जिसने पति और सास ससुर के कार के सपने को साकार नहीं कर पाई और अपनी जान दे दी.
अपने प्यारी लाडली बहन की शादी में लावा छीटकर रस्म निभाते भाई ने सोचा भी न था कि जिसकी विदाई अंतिम विदाई हो जाएगी. पटना के मोकामा जिले के चौक थाना क्षेत्र में रहने वाला परिवार पूरे हिंदु रिति रिवाज से स्वाति की शादी जमुई के सिकंदरा के रहने वाले सोनू कुमार करता है। पूरे विधि विधान के सात परिवार से जो बन पड़ा स्वाति की शादी में खुशियों के साथ विदा करता है. स्वति जब अपने ससुराल पहुंचती है तो पहले पति ने कार का ताना मारना शुरू किया. बाद में ससुर संजीव सिंह सास रंजू देवी ने. दहेज के लिए मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का काम किया गया. इतना ही नहीं मायके से 4 चक्का गाड़ी लाकर नहीं देने पर पति सोनू अपनी पत्नी स्वाति के साथ बराबर मारपीट करता था.
स्वाति ससुराल में अपने पति और परिवार के बीच इससे पहले कि अच्छे रिश्ते बना पाती. पारिवारिक कलह ने स्वाति का जीना हराम कर दिया. हर बात पर मायके के ताने से तंक आकर स्वाति ने जान दे दी. हद तो तब हो गया कि इतनी बड़ी घटना की सूचना स्वाति के मायके में नहीं दी गई. गांव के दूसरे लोगों ने स्वाति के घर वालों को स्वाति की मौत की खबर पहुंचाई. सूचना पाकर स्वाति के परिवार के लोग ससुराल पहुंचे मगर तब तक स्वाति के चिता की आग ठंडी पड़ गई थी. ससुराल वाले घर से फरार हो चूके थे.
स्वाति के परिवार वालों ने स्वाति को न्याय दिलाने के लिए जमुई के सिंकदरा में पूरे मामले की शिकायत दर्ज करते हुए प्राथिमिकी दर्ज कराई और कानून से दूसरी किसी स्वाति के साथ ऐसा न हो इसलिए स्वाति के पति ससुर और सांस को फांसी दिलाने की मांग कर रहे हैं। सरकार दहेज के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रही है. दहेज लेना या देना दोनों कानूनी जुर्म है लेकिन आज भी हमारे समाज में स्वाति दम तोड़ रही है क्योंकि सामाजिक रूप से दहेज रूपी राक्षस आज भी हमारे समाज में जिंदा है. जब तक इस दहेज रूपी राक्षस का दहन नहीं होगा. तब तक हमारे समाज में बेटी बचाओ, बेटी पढाओ और बेटियों को लेकर बनाए गए कानून महज दिखावा रह जाएगा.
पटना से कुमार गौतम की रिपोर्ट