द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार में होने वाले त्रिस्तरीय चुनाव को लेकर सरगर्मियों तेज हो रही है. हालांकि पंचायत चुनाव को लेकर अभी तिथि जारी नहीं की गई. लेकिन राज्य चुनाव आयोग ने सितंबर से नवंबर तक चुनाव कराने को कहा गया है. अब जो है जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है वैसे ही उम्मीदवारों अब जनता के बीच जाना शुरू कर दिया है. सरपंच हो या फिर मुखिया, हर प्रत्याशी इन दिनों वोटर की चौखट पर हाथ जोड़े नजर आने लगे हैं. कोई अच्छी शिक्षा का वादा कर रहा है तो कोई गांव के विकास को लेकर वोट मांग रहा है. लेकिन उम्मीदवारों के लिए एक बार बिहार में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर अटकलें लग गई हैं. बता दें कि पहले भी कोरोना की स्थिति को लेकर बिहार पंचायत चुनाव में रुकावट आयी थी. और एक बार फिर से बिहार में पंचायत चुनाव की तिथियों को लेकर संशय जारी है.
दरअसल, इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा है 17 जिलों में बाढ़ क्योंकि जिस तरह से लगातार बाढ़ की स्थिति बनी हुई है जिसे देखते हुए चुनाव की तिथियों में रुकावट आ सकती है. बता दें कि बिहार में पंचायत चुनाव की तिथियों को लेकर कोई फैसला लेने के पहले राज्य सरकार जिलों में बाढ़ की स्थिति को लेकर जिलाधिकारियों से फीड बैक लेने की तैयारी कर रही है. संभव है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में पंचायत चुनाव की तिथि आगे बढ़ा दी जाए. हालांकि इससे चुनाव के समेकित कार्यक्रम पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है.
आपको बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलो से आई रिपोर्ट के आधार पर 10 चरणों में पंचायत चुनाव कराने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. आयोग शुरुआती चरणों के चुनाव कार्यक्रम में भले ही फेरबदल कर दे, लेकिन प्रक्रिया को नवंबर तक खत्म करने की पूरी कोशिश रहेगी. पिछले दिनों बिहार में 10 चरणों में होने वाले पंचायत चुनाव की तिथियों को लेकर एक गैरआधिकारिक सूचना भी सामने आई, जिसमें 20 सितंबर से 25 नवंबर तक मतदान कराने की बात सामने आई थी.
हालांकि, चुनाव की आधिकारिक सूचना राज्य निर्वाचन आयोग ही जारी करता है. आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले चुनाव की तिथि लीक होने को लेकर तमाम चर्चाएं भी पिछले हफ्ते चली थीं. इसके बाद भी कयास लगाए जा रहे थे कि आयोग इन तिथियों को पुनर्व्यथवस्थित कर सकता है. आयोग ने अब तक जो तैयारी की है, उसमें भी बाढ़ के संभावित असर वाले प्रखंडों में बाद के चरणों में चुनाव कराने की ही बात है.
हालांकि आयोग ने जिलों से रिपोर्ट के आधार पर जब यह कार्यक्रम तय किया, तब बाढ़ के इतने खतरनाक रूप अख्तियार करने का अंदाजा शायद नहीं था. इस बार कई इलाकों में बाढ़ अनुमान से कही अधिक असर दिखा रही है. करीब 14 साल बाद भागलपुर-किऊल रेलखंड पर बाढ़ के कारण यातायात बंद करना पड़ा है तो पटना के पास गंगा अपने रिकार्ड स्तरर तक पहुंचने से कुछ ही सेंटीमीटर नीचे रह गई. हाथीदाह और कई इलाकों में गंगा ने पुराने रिकार्ड तोड़ दिए. गंगा के अलावा गंडक और कोसी जैसी नदियों में अब भी काफी पानी है. यही कारण है कि ऐसी स्थिति को देखते हुए बिहार पंचायत चुनाव की तिथियों में अटकलें लग सकती है हालांकि अभी इसपर कोई फाइनल डिसीजन नहीं लिया गया है.
स्वप्निल सोनल की रिपोर्ट