नंदन निराला, जमुई
जमुई: कोरोना बीमारी से संपूर्ण विश्व में त्राहिमाम मचा हुआ है। इस बीमारी से बचाव के लिए अभी तक कोई भी दवाई नहीं रहने के कारण सोशल डिस्टेंस ही एक उपाय रह गया है। जिसके लिए देश भर में मार्च से शुरू हुआ लॉक डाउन मई महीने में भी जारी है। देश एवं बिहार में लॉक डाउन के वावजूद कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है तो वहीं लॉक डाउन की वजह से फूल की खेती करने वाले किसान आज आर्थिक तंगहाली के कगार पर खड़े हो गए हैं। जमुई जिले के खैरा पंचायत में फूल की खेती कर जीवन यापन करने वाले किसान लॉक डाउन में आर्थिक तंगी के शिकार हो गए हैं। खैरा गांव में वर्षों से फूल की खेती कर अपने परिवार का जीवन यापन करने वाले कई मालाकार परिवार लॉक डाउन की वजह से आर्थिक खस्ताहाल के दौर से गुजर रहा है।
फूल की खेती करने वाले किसान संजीव मालाकार ने बताया कि लाख पचास हजार की लागत से फूल की खेती किये हैं। लॉक डाउन की वजह से पटना एवं अन्य जिले में भेजे जाने वाले सारे गेंदा के फूल खेत मे ही खिलकर मुरझा गए। लॉक डाउन की वजह से सभी मंदिर, शादी विवाह एवं अन्य आयोजन बिल्कुल बन्द रहने से फूल की बिक्री ठप्प पड़ गई है, जिससे हमलोग तंगहाली के कगार पर खड़े हो गए हैं। एक तरफ महामारी तो दूसरी तरफ लॉक डाउन से उपजी तंगहाली में सरकार एवं प्रशासन से राहत की मांग है।
लॉक डाउन के दौरान फूलों की खेती करने वाले किसानों को हो रही समस्या के सवाल पर जमुई जिला अधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि लॉक डाउन की वजह से किसी भी किसानों को जो क्षति हो रही है, उसके आकलन हेतु कृषि विभाग द्वारा जो सूची भेजी जाएगी। उसके आधार पर किसानों को अनुदान के रूप में क्षतिपूर्ति राहत अवश्य दी जाएगी।