पटना: जिले में 25 जनवरी तक सभी सरकारी और निजी स्कूलों, प्री स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्रों, कोचिंग सेंटरों में 8वीं तक की कक्षाएं बंद रहेगी। भीषण ठंड को देखते हुए यह आदेश डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने मंगलवार को जारी किया। इस आदेश के जारी होते ही शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सवाल उठाया। उन्होंने डीएम के आदेश को गलत ठहराते हुए कहा कि विभाग अगर इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देता है तो आपको स्पष्टीकरण तक देना पड़ सकता है।
डीएम: आदेश का उल्लंघन धारा 188 के तहत दंडनीय अपराध
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने धारा-144 के तहत आदेश जारी किया है। उन्होंने कहा इस आदेश का उल्लंघन भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडनीय अपराध होगा। वर्ग 9 से ऊपर की कक्षाएं सुबह 9 से दोपहर 3.30 बजे तक चलेगी। मिशन दक्ष और बोर्ड परीक्षा के लिए सावधानी के साथ विशेष कक्षाओं का संचालन इससे मुक्त रहेगा। विभाग के पत्र का बिंदुवार जवाब दिया जाएगा। सोमवार को पत्र में डीएम ने कहा था कि सीआरपीसी के तहत निर्गत डीएम के ऑर्डर को बदलने का पावर शिक्षा विभाग को नहीं है।
विभाग : आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी तो उ आप नहीं टिकेंगे
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने पत्र में 20 जनवरी को जारी अपर मुख्य सचिव केके पाठक के पत्र का हवाला दिया है। निदेशक ने कहा कि यदि विभाग आपके आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे तो आपको पांच बिंदुओं पर स्पष्टीकरण देना पड़ सकता है। आपका आदेश न्यायिक समीक्षा पर बिल्कुल भी खरा नहीं उतरेगा। लेकिन, सरकार के दो विभिन्न अंगों का आपसी मामला है इसलिए विभाग आपके आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दे रहा है। आपने क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर धारा- 144 के तहत त्रुटिपूर्ण आदेश पारित किया है।
हाई कोर्ट और सरकार डीएम के आदेश का कर सकते है रिव्यू
बीएस दुबे, पूर्व मुख्य सचिव बिहार-झरखंड डीएम कोर्ट के आदेश को रिव्यू करने का अधिकार हाई कोर्ट और सरकार को है। सरकार कैबिनेट के माध्यम से रिव्यू कर सकती है। शिक्षा विभाग को डीएम कोर्ट के आदेश को बदलने का कानूनी और प्रशासनिक अधिकार नहीं है। डीएम कोर्ट के द्वारा जारी धारा-144 के आदेश का यदि कोई उल्लंघन करता है तो धारा-188 के कानूनी कार्रवाई व गिरफ्तारी हो सकती है। यदि स्कूल जाने बाले छोटे बच्चे भीषण ठंड से मर जाएंगे, बीमार होंगे तो जिम्मेवारी किसकी होगी। जिलाधिकारी को तथ्यों के साथ स्वविवेक से निर्णय लेने का अधिकार है।