सुपौल : बिहार पहुंच रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए ये अच्छी ख़बर है. बिहार सरकार के द्वारा अब मनरेगा योजना में रोजगार मुहैया करवाने की दिशा में कार्य शुरू हो गए. ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि बिहार के सुपौल जिले में पहुंचने वाले तक़रीबन 20 हजार श्रमिकों को कॉरेन्टाइन सेंटर में जॉब कार्ड उपलब्ध करवाने में जिला प्रशासन जुटा.
वहीं जिले में मनरेगा योजना में 27 हजार 686 मजदूरों को 434 विभिन्न योजनाओ में लगाया गया. जिस कार्य में जुटे जो मजदूर ना केवल गदगद है बल्कि तो साफ कह रहे है कि सरकार से ऐसे ही कार्य दे तो वो पलायन करना ही छोड़ देंगे. दूसरी तरफ जीविका दीदी कार्य में जुटे मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिग सरीखे का पाठ पढ़ाने में जुटी है. इधर, जिला प्रशासनिक अधिकारी सरकार के निर्देश का पालन करवाने की बात कही.
यह तस्वीर सुपौल प्रखंड के झहुरा और चैनसिंहपट्टी इलाके की है. जबकि दूसरी तस्वीर राघोपुर प्रखंड के धर्मपट्टी और दौलतपुर बिशनपुर की है. हमारे संवाददाता की पड़ताल में मजदूरों को कार्य की मिलने की हकीकत का वीडियो है. सुपौल जिले में अब तक विभिन्न राज्यों से 20 हजार प्रवासी पहुंच चुके है. 18 मई तक यह सरकारी आकड़ा है. वहीं प्रवासी मजदूरों को पहले तो क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाता फिर वंहा से छूटने के साथ ही जिले के विभिन्न प्रखंडों में जिलाधिकारी के निर्देश पर मनरेगा योजना के मजदूरों को जॉब कार्ड दिए जाने का कार्य आरंभ किया. जिन प्रवासी और इलाके में रह रहे दोनों मजदूरों को जिला प्रशासन मनरेगा के कार्य में लगा रहे है.
सरकारी आकड़े के मुताबिक, 27 हजार 686 मजदूरों को अब तक 434 विभिन्न योजनाओ में लगाया जा चूका है. जिसमें सुपौल प्रखंड और राघोपुर प्रखंड में दर्जनों पोखर के खुदाई में हजारों मजदूरों को कार्य कर रहे है. जिसकी तस्वीर आप देख रहे है. जबकि कई इलाकों में नहर मरम्मती, मिट्टी सोलिंग और सड़क निर्माण कार्य में मजदूर अपने कार्य में लगे दिखाई दे रहे हैं. मजदूर घरों में कार्य करके काफी खुश ही नहीं बल्कि गदगद है. उनकी डिमांड है कि सरकार अगर ऐसे कार्य सालों भर दे तो अन्य प्रांतों में वो पलायन नहीं करेंगे.
वहीं कई मजदूर सरकारी दरों में मिलने वाले प्रत्येक दिन के हिसाब से मिलनी वाली 194 रूपए से खुश होना बताया. जबकि दूसरी तरफ इन मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल के साथ मास्क और साफ-सफाई की पाठ जीविका दीदी कार्यस्थल पर देती नजर आई. उन्होंने कहा कि कोरोना के संक्रमण की बचाव के मद्देनजर शिक्षा का अलख मजदूरों में बाटने की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है.
वहीं जिला प्रशासन के बड़े हाकिम से बात करने पहुंचने तो जनाब जिले के डीडीसी साहब ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर 20 हजार प्रवासी मजदूर आ चुके हैं. इनलोगों को क्वारंटाइन सेंटर पर डाक्टरों के फिट होने के बाद कार्य में लगाया जा रहा है. अब तक जिले में मनरेगा योजना में 27 हजार 686 मजदूरों से कार्य लिए जाने की बात कही गई है.
बहरहाल, मनरेगा योजना अब प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हो रहा है. सरकारी तंत्र मजदूरों को कार्य देकर उन्हें रोजगार का साधन दिया है. मगर महज कुछ दिनों पहले जो प्रवासी मजदूर बिहार से बाहर बिहार को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे. अब उनके सुर बदल गए क्या यह बदलते हुए बिहार की तस्वीर है या फिर कोरोना का साईड इफेक्ट.