PATNA CITY : बिहार यदुवंशी चेतना मंच द्वारा अहीर रेजिमेंट के निर्माण हेतु संसद में उठी मांग के समर्थन में सभा का आयोजन किया गया। सभा का आयोजन स्थानीय मंगल तालाब स्थित पाटलिपुत्र परिषद् में संपन्न हुआ। सभा में चेतना मंच के पदाधिकारियों-सदस्यों के अतिरिक्त नगर के विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया और कहा कि अहीरों के सेना में पराक्रम एवं वीरता को देखते हुए रेजिमेंट गठन की मांग सर्वथा उचित है।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में वरीय समाजसेवी जगदीश प्रसाद यादव ने कहा कि, एक रेजिमेंट के निर्माण होने से जातीय गौरव गरिमा में वृद्धि होगी। इसके साथ ही, बहादुरी के किस्से से जाति का ना सिर्फ मान बढेगा बल्कि जवानों में बहादुरी और शहादत का चाव बढ़ेगा। इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए सभा-समन्वयक भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कुमार यादव ने कहा कि, 1857 के उपरांत ही अंग्रेजों ने जाति, क्षेत्र और मजहब के आधार पर रेजिमेंट बनाए थे।
सिपाहियों की ज्यादातर भर्ती इसी आधार पर की गई। अलबत्ता, ऑफिसर एवं क्लर्क की नियुक्ति अलग तरह से हुई। लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहीरों के बढ़-चढ़कर भाग लेने के कारण अंग्रेजों ने अहीरों के बगावती तेवर को देखते हुए उनके नाम पर कोई रेजिमेंट नहीं बनाया। उन्होंने आगे कहा कि, जातिगत एवं क्षेत्रगत आधार पर नियुक्तियों की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं और न ही किसी न्यायालय से इसे कोई मान्यता है।
लिहाजा या तो अहीर रेजिमेंट का गठन कर अहीरों के पराक्रम एवं वीरता को मान्यता देनी चाहिए अन्यथा इस आधार पर बने सारे रेजिमेंट का नाम समाप्त कर देना चाहिए। एक रेजिमेंट में करीब पच्चीस हजार जवान होते हैं। इससे इतने रोजगार का पक्के तौर पर सृजन होगा। साथ ही, निजीकरण के दौर में फौज, पुलिस और टैक्स विभाग को छोड़कर सारी नौकरियां प्राइवेट सेक्टर में जा रही है। लिहाजा, इन तीनों को छोड़कर आरक्षण का लाभ समाप्त हो जाएगा।
पटना से अनिल कुमार की रिपोर्ट