द एचडी न्यूज डेस्क : पंडित राजकुमार शुक्ल की आज 146वीं जयंती है. उनकी जयंती पर उन्हें भारत रत्न देने की मांग उठी है. चंपारण सत्याग्रह के महानायक पंडित राजकुमार शुक्ल की 146वीं जयंती समारोह पंडित राजकुमार शुक्ल स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित की गई. कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन पंडित शुक्ल की दौहित्री वीणा देवी और संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष सह लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया.
तदुपरांत पंडित शुक्ल के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित की गई. कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र भेंट कर की गई. इस अवसर पर संस्थान के केंद्रीय अध्यक्ष सह लोजपा प्रवक्ता राजेश भट्ट ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि चंपारण सत्याग्रह के सूत्रधार पंडित शुक्ल का आज अवतरण दिवस है. जिसने स्वतंत्रता आंदोलन की बिगुल फूंककर बिहार के चंपारण की धरती से देश की आजादी के प्रथम स्वतंत्र संग्राम की पहली लड़ाई का शंखनाद किया जो आगे चलकर देश की स्वतंत्र संग्राम की दिशा और दशा तय की.
भट्ट ने कहा कि पंडित शुक्ल न होते तो बापू चंपारण आते या नहीं आते यह कहना बेहद मुश्किल होता. अगर चंपारण आंदोलन नहीं होता तो बितानी हुकूमत के विरुद्ध स्वतंत्र आंदोलन की पहली लड़ाई जिसमें उनके अथक प्रयास से चंपारण की धरती पर मोहनदास करमचंद गांधी को लाने का जो भागीरथ प्रयास पं शुक्ल के द्वारा किया गया. वह एक ऐतिहासिक संयोग है. जिसमें सत्य और अहिंसा का सफल प्रयोग बापू के द्वारा करने का पहला सफल प्रयोग किया गया जो आगे चलकर देश के स्वतंत्रता आंदोलन में बापू के नेतृत्व में बड़ा हथियार साबित हुआ. जिसके बल पर देश को आजादी मिली.
उस इमारत के कंगूरा बन गांधी राष्ट्रीय फलक पर छा जाते हैं. उस इमारत की नींव की ईंट बन जमीन में गड़ जाते है. तब से आज वे इतिहास के पन्ने में सिमट कर रह गए हैं. जिस पर पिछले सभी सरकारों को ध्यान देने की आवश्यकता थी. जिसे नजरअंदाज किया जाना बेहद अफसोस जनक है. पंडित राजकुमार शुक्ल स्मृति उनके स्मृति अशेष को अक्छुण रखने हेतु कृतसंकल्पित है. विगत कई वर्षों से पंडित शुक्ल के इस संघर्ष गाथा को सरकार के संज्ञान में लाने को लेकर निरंतरता में संस्थान द्वारा निर॔तर प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन आज भी स्धिति जस की तस है जो बेहद दुखद है.
हाल ही में संस्थान का एक प्रतिनिधिमंडल महामहिम फागू चौहान से जाकर मिला और उन्हें संस्थान के लंबित मांगो का ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें बिहार सरकार द्वारा अनुशासित भारत रत्न की मांग पर केंद्र सरकार द्वारा अविलंब विचार करने को लेकर अविलंब विचार करने को लेकर अपील किया गया. साथ ही प्रदेश की सरकार से उनके जीवनी को राज्य के पाठ्यपुस्तक में समावेशित करने और उनके जयंती समारोह को सरकारी तौर पर मनाने को लेकर संस्थान की ओर से भट्ट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को इस आशय का ज्ञापन के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया गया. लेकिन इस पर कोई सकारात्मक विचार अब तक लंबित है.
इस अवसर पर पंडित शुक्ल की दौहित्री वीणा देवी ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह आंदोलन में पुण्यश्लोक राजकुमार शुक्ल जी का अहम योगदान था. जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. लेकिन उन्हें वह सम्मान अब तक देश की सरकारों ने और इतिहासकारो ने नहीं दिया है जिसके वे हकदार थे. चंपारण सत्याग्रह के उनके सहयोगी डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद देश के राष्ट्रपति के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं. जबकि डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिंह प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में बिहार के राजनीति में आसीन होते हैं.
बावजूद आज तक पंडित राजकुमार शुक्ल के परिजनों को स्वतंत्र सेनानी का पारिवारिक पेंशन का भी मुहैया ना होना सरकार की उदासीन रवैया को दर्शाता है. कई बार पंडित शुक्ल के स्मृति अशेष को संरक्षित रखने हेतु संग्रहालय के लिए जमीन के आब॔टन करने को सरकार से गुहार लगाया जिस पर विचार आज तक लंबित है. कार्यक्रम में मुख्य रूप से भट्ट के अलावे बीना देवी, सुभाष शर्मा, अमरीशकांत, मनोज कुमार राणा, डीके पाल अजय कुमार और संध्या भट्ट समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे.