द एचडी न्यूज डेस्क : आज पटना के गर्दनीबाग पब्लिक लाइब्रेरी में तीनों कृषि कानून के विरोध में वामदल किसान मजदूर महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में कॉमरेड दीपांकर भट्टाचार्य महासचिव एवं कॉमरेड गुरनाम सिंह भिखी राज्य सचिव पंजाब किसान यूनियन मौजूद थे. भाकपा माले के तमाम विधायक के अलावा संदीप सौरव और मनजीत मंजिल मौजूद रहे.
वहीं पंजाब किसान यूनियन के राज्य सचिव गुरनाम सिंह ने कहा कि इस महापंचायत का उद्देश्य किसानों और मजदूरों को जगाना है. बिहार में भी अब इस आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है. बिहार अन्य राज्यों से पहले जागरूक होगा. इसको लेकर हमें बिहार पर फक्र है. यह आंदोलन जब तक मोदी मानेगा नहीं तब तक चलता रहेगा. चाहे वह गद्दी से उतर के माने चाहे मर के माने. हमें लगता है कि 2024 तक तो यह आंदोलन चलेगा ही क्योंकि मोदी मानेगा नहीं. अगर बिहार सरकार कहती है कि किसान बिहार में खुशहाल हैं तो फिर बिहार के किसान पंजाब क्यों जाते हैं काम करने के लिए. पंजाब के खेतों और फैक्ट्रियों में बिहार के किसान मजदूर काम करते हैं. बिहार की जमीन पूरी खाली पड़ी रहती है.
भाकपा माले के महासचिव कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि विगत चार महीने से किसानों का आंदोलन चल रहा है. इसे पंजाब के किसान आंदोलन कहकर दबाया जा रहा है. इसीलिए आज बिहार में यह किसान मजदूरों की महापंचायत है. यह आंदोलन सिर्फ बिहार का ही नहीं पूरे देश का है. यह आंदोलन जितना किसानों का है उतना मजदूरों का भी है और उतना गरीबों का है. इस कानून का सबसे ज्यादा दुष्परिणाम बिहार झेल चुका है. क्योंकि बिहार में किसानों को सबसे कम दाम मिलता है.
उन्होंने कहा कि बिहार में सबसे कम खरीद होती है. इसलिए हमारा सरकार को कहना है कि यह तीनों कृषि कानून वापस ले और बिहार के किसानों को गारंटी दें. उनके फसलों की खरीद की गारंटी है. उनको दामों की गारंटी दें. 27 मार्च को जो पूरे भारत में किसान ट्रेड यूनियन ने बंद का आह्वान किया. उसमें हम पूरी तरह से उनके साथ हैं. जिन राज्यों में 27 मार्च से चुनाव होने वाले हैं. उनमें भी मौजूदा सरकार के खिलाफ जनादेश आएगा.
वहीं भाकपा के विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि अगर हमें बेहतर नहीं कर सकते हो तो कम से कम हमारे पास जो है उसको मत छीनो. उन्होंने कहा कि यह जो कृषि कानून है उसको बनाने के लिए संसद का सहारा नहीं लिया गया. अंबानी-अडानी के यहां से आदेश आया. यह कृषि कानून बन गया. राज्यसभा में भी बिना बात किए चर्चा किए इस कानून को पास कराया गया है. यह कानून किसानों के लिए नहीं अंबानी-अडानी के लिए है. इस कृषि कानून का दुष्प्रभाव से पंजाब और हरियाणा में नहीं बल्कि पूरे देश में यहां तक कि बिहार में भी इसका दुष्प्रभाव आ रहा है. इस कृषि कानून के लागू होने के बाद जो खेती बकायेदारों को मिलती थी भूमिहीन किसानों मजदूरों को मिली थी. वह खेती अब अंबानी-अडानी को मिलेगी. जिसको लेकर कई भूमिहीन किसान गरीब मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे.
संजय कुमार चुनमुन की रिपोर्ट