कटिहार : जिले में कोरोना का कहर चरम पर है. यहां तक कि जिले का एक मात्र सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल भी अब कोरोना की चपेट में है. कुल छह नर्स और सदर अस्पताल के चार डॉक्टर इसकी चपेट में है. नर्सो की माने तो कोरोना पोस्टिव अस्पताल कर्मी के इलाज के लिए उन्हें ANM हॉस्टल और रेन बसेरा में आइसोलेट कर इलाज किया जा रहा है. जहां न तो बिजली की व्यवस्था है न पानी की.
ऐसे में जो अस्पतालकर्मी खुद अपनी जान जोखिम डालकर मरीजों का इलाज करते है उन्हें खुद अपनी जान जोखिम में लग रही है. सिविल सर्जन न तो कोई मुक्कमल व्यवस्था दे रहे है न ही कोई वैकल्पिक सुविधा दे पा रहे हैं. नर्स का कहना है कि जिस तरह कटिहार रेलवे अस्पताल और रेलवे के मुख्य कार्यालय DRM बिल्डिंग में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें बंद कर सेनेटीएज किया गया. उसी तरह कटिहार सदर अस्पताल को भी कुछ दिनों के लिए बंद कर सेनेटीएज किया जाए. नर्सो का एक प्रतिनिधिमंडल सिविल सर्जन से मिलकर अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत करवाया.
बावजूद कटिहार के सिविल सर्जन डीएन पांडे कुछ भी सुनने को तैयार नहीं. यहां तक कि मीडिया के कैमरे के सामने भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. राजद के जनप्रतिनिधि आशु पांडे की माने तो सदर अस्पताल कर्मियों को कोरोना से बचाव और मरीजों के इलाज के लिए जो PPE किट दिए गए है. वो भी घटिया क्वालिटी की है. ऐसे में सदर अस्पताल में जो नर्स और डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव पाए गए है. जो कर्मी पॉजिटिव अस्पताल कर्मियों के संपर्क में थे. उन्हें होम क्वॉरेंटाइन की मांग करने पर उन्हें जबरन ड्यूटी का दबाव बनाना कहा तक जाएज है.
गौरतलब है कि कटिहार के शहरी क्षेत्रों में कोरोना का विस्फोट तेजी से बढ़ रहा है. अब जरूरत है कि जिला प्रसाशन इनके इलाज की मुक्कमल व्यवस्था करे नहीं तो ये कोरोना का संक्रमण तेजी से अपना पाव पसारता जाएगा. लोगों की ज़िंदगी की कोई गारेंटी नही रह पाएगी.
सोनू चौधरी की रिपोर्ट