रांची : केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए काले कृषि कानून जिसकी वजह से किसानों में आक्रोश फैला है. पुनर्विचार करने हेतु देश व किसानों के हित में कानून वापस लेने की मांग को लेकर 31 जनवरी को गोड्डा कारगिल चौक से देवघर रोहिणी शहीद स्थल तक किसानों का विशाल ट्रैक्टर रैली हुल आगाज का आह्वान किया गया है.
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख कांग्रेस भवन में आज संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि गांधीवादी तरीके से रोहिणी शहीद स्थल से देवघर झारखंड से किसानों की एक मजबूत आवाज दिल्ली के रायसीना में रह रहे बादशाह के कानों तक पहुंचाई जाएगी. वरना आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी की रैली के संयोजक पूर्व मंत्री व वर्तमान में पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव हैं. जबकि मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव, विधायक दल नेता आलमगीर आलम, मंत्री सत्यानंद भोक्ता, पार्टी के विधायक और गठबंधन दल के नेता शिरकत करेंगे.
संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं डॉ. राजेश गुप्ता छोटू भी उपस्थित थे. उन्होंने सभी किसान भाइयों से अपील किया है कि ट्रेक्टर साथ लेकर शहीद चौक देवघर तक कुच करें. बादल पत्रलेख ने किसानों से आग्रह किया है और राज्य के सभी वैसे लोगों से जहां सरहदों पर सैकड़ों किसानों की जानें गई हैं. सड़कों पर किसान ठिठुरते हुए पड़े हुए हैं. झारखंड की जनता और किसान भी पूरी ताकत के साथ 31 जनवरी को अपना समर्थन प्रकट करने के लिए सड़कों पर निकलेंगे.
बादल पत्रलेख ने कहा कि 31 जनवरी को जब हम सिंधु बॉर्डर पर उनके बीच गए थे तो जो दर्द और झलक मैंने देखा वह काफी पीड़ादायक था. नौकरी की तैयारी करने वाले, एमबीबीएस की तैयारी करने वाले, समाज के विभिन्न वर्गों के किसान वहां पर बैठे थे. लगभग 175 किसानों ने अपनी शहादत दे दी. चिंता का विषय यह है कि इसके बावजूद किसानों की आवाज बादशाह को सुनाई नहीं दे रही है.
गांधीवादी तरीके से 31 जनवरी को विशाल ट्रैक्टर रैली आयोजित की गई है. हर जगहों पर बैठकें आयोजित कर किसानों को आमंत्रित किया जा रहा है. बुधवार को पतरातू में सभा थी. आज खूंटी में है कल गिरिडीह, कोडरमा और चतरा हर जगह के किसानों को बुलाया जा रहा है. उन्होंने 26 जनवरी की घटना की निंदा करते हुए कहा कि वैसे लोग जो इस आंदोलन को असफल बनाना चाहते थे. उन्होंने षडयंत्र के तहत किसानों के आंदोलन को आक्रोशित करने का काम किया.
26 जनवरी की घटना के लिए हम राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन करते हैं कि स्वत: संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की न्यायिक जांच की जाए और पूरे मामले का पर्दाफाश किया जाए. इस आंदोलन को खत्म करने की एक साजिश थी. केंद्र सरकार की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठता है. रैली और आंदोलन को दबाने का यह षड्यंत्र था जो लोग भी इसमें शामिल हैं वह चिन्हितत होंगे और उन्हें दंडित होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि 175 किसानों ने अब तक अपनी जानें दे दी हैं. केंद्र की सरकार तारीख पर तारीख दे रही है. 26 जनवरी जो हमारा गणतंत्र का दिन था. उस दिन की घटना निंदनीय है. केंद्र की सरकार और प्रधानमंत्री तुगलकी फरमान मौन रखकर थोपना चाहते हैं. इस पर लोकसभा में विशेष सत्र आहूत कर बहस होनी चाहिए. विधानसभा और विधान परिषद में भी बहस होनी चाहिए. 31 जनवरी का हुल आगाज झारखंड से निकलता हुआ तानाशाह सरकार को सुनाई देगा.
गौरी रानी की रिपोर्ट