नई दिल्ली : झारखंड के कांग्रेस विधायकों का दल मंगलवार की शाम नई दिल्ली में पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मिला. राहुल गांधी के आवास पर हुई यह मुलाकात करीब दो घंटे तक चली. झारखंड से दिल्ली पहुंचे दल में 17 विधायकों के अलावा पार्टी के को-ऑर्डिनेशन कमेटी के सभी पदाधिकारी, वरिष्ठ नेता सहित कुल 33 लोग शामिल रहे. राहुल गांधी के साथ बैठक शाम साढ़े तीन बजे से साढ़े पांच बजे तक चली. इस दौरान विधायकों ने पार्टी नेतृत्व के समक्ष राज्य सरकार में पूरी भागीदारी का मुद्दा उठाया.
विधायकों ने कहा कि पार्टी को मजबूत बनाए रखने के लिए संगठन और सत्ता के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है. वर्तमान में पाटी अलग-अलग गुटों में बंटी हुई नजर आ रही है. आपसी संवाद के जरिए इन दूरियों को बहुत हद तक कम किया जा सकता है. यह पार्टी और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद होगा. बैठक के दौरान कुछ नेताओं ने सबकी जवाबदेही तय करने का मुद्दा भी उठाया.
दरअसल, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के भाजपा में जाने के बाद से पार्टी में ऊहापोह की स्थिति थी. पार्टी आलाकमान की ओर से अविनाश पांडेय को नया प्रदेश प्रभारी बनाया गया. नई जिम्मेदारी मिलने के बाद उन्होंने राज्य का दौरा किया. तीन दिवसीय रांची प्रवास में वह पार्टी के तमाम विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिले. इस दौरान शीर्ष नेतृत्व के साथ संवाद की कमी का मुद्दा जोर-शोर से उठा. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि आरपीएन सिंह के कार्यकाल में पार्टी के अंदर से उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश की गई. इसे उचित मंच पर नहीं पहुंचा गया. इससे संगठन के कई नेताओं में नाराजगी पैदा हुई. इसे दूर करने की जरूरत है.
प्रदेश प्रभारी ने दिल्ली पहुंचकर शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व में संगठन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी तथा विधायकों की बैठक बुलाने का निर्णय हुआ. इसके आलोक में यह अहम बैठक हुई. बैठक के दौरान राहुल गांधी का पूरा जोर संगठन की एकता बनाए रखने पर रहा. उन्होंने कहा कि पार्टी मां की तरह होती है. वह अपने हर बच्चे की शिकायत सुनती है. कभी डांटती है. कभी प्यार करती है. कभी पुरस्कार देती है. वह कभी अपने बच्चों में भेद नहीं करती. इस बात को सबको समझने की जरूरत है. सबको साथ मिलकर आगे बढ़ना है.
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि बैठक में शामिल लोगों ने अपनी-अपनी बात नेतृत्व के समक्ष रखी. इस दौरान राज्य में होने वाली नई नियुक्तियों से पहले पिछले वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण का लाभ देने, सरना धर्म कोड को लागू करने का प्रयास करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.
बगावत रोकने के लिए चुना गया बातचीत का रास्ता
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आरपीएन के खेमा बदलने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश कांग्रेस के अंदर कुछ उथल-पुथल हो सकती है. आरपीएन के करीब रहे कुछ विधायक बगावत कर सकते हैं. लिहाजा पार्टी में बगावत रोकने के लिए बातचीत का रास्ता चुना गया. पूर्व में दूसरे राज्यों में हुए नुकसान से सबक लेते हुए पार्टी पहले ही सतर्क हो गई. यही कारण था कि नए प्रभारी की नियुक्ति में देरी नहीं की गई. इसके साथ ही जिले से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक संवाद के रास्ते खोल दिए गए.
गौरी रानी की रिपोर्ट