रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने तीन नए कृषि कानून को निरस्त किए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा यह किसानों की बड़ी जीत है. अभिमानी केंद्र सरकार को अन्नदाताओं के सामने झुकना पड़ा. प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव आज खूंटी स्थित अतिथि शाला में पत्रकारों से बात कर रहे थे. इस मौके पर उनके साथ प्रदेश कांग्रेस के वरीष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं डॉ. राजेश गुप्ता छोटू भी मौजूद थे.
रामेश्वर उरांव ने कहा कि डेमोक्रेसी में कोई कानून जबरन थोपा नहीं जाता है. कानून बनाने के पहले लोगों से विचार-विमर्श और उनका सुझाव लिया जाता है. जिनके लिए कानून बन रहा है, उनसे पूछा जाता है कि यह उनके हित में है या नहीं. लेकिन बीजेपी ने एकतरफा फैसला ले लिया और तीन नए कृषि कानून को संसद से पारित कराने का काम किया. इससे किसानों को हानि होने की आशंका थी, जिसके कारण देशभर के किसान पिछले एक साल से आंदोलनरत थे.
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार आंदोलन चलाया जा रहा था. पूरे देश में इस आंदोलन को समर्थन मिल रहा था. लेकिन करीब एक वर्ष तक भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इस आंदोलन की अनदेखी की. अब केंद्र सरकार आंदोलन के आगे झुक गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून को रद्द करने की घोषणा की है, पार्टी इसका स्वागत करती है. लेकिन जब तक संसद से विधिसम्मत तरीके से इस कानून को वापस नहीं ले लिया जाता. तबतक पूरी पार्टी आंदोलनरत किसानों के साथ खड़ी है. डॉ. उरांव ने यह भी आशंका जताआ कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने की साजिश की जा रही है.
इसलिए पार्टी यह भी मांग करती है कि जरुरत के मुताबिक, देश में एमएसपी को लेकर कानून बनें.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी शुरू से ही देश के किसानों के साथ खड़ी रही है, आजादी के पहले खेड़ा आंदोलन हुआ. बाद में गांधी और पटेल के नेतृत्व में किसानों के हित के लिए कई आंदोलन हुए. प्रारंभ से ही कांग्रेस पार्टी और किसानों के बीच चोली-दामन का साथ रहा है. कांग्रेस ने अपने शासनकाल में किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन बीजेपी शासन में किसानों के हितों पर लगातार कुठाराघात किया जा रहा है. इसके खिलाफ सभी को भविष्य में भी एकजुट रहने की जरूरत हैं. मंत्री उरांव ने कहा कि पांच राज्यों के चुनावों को देखते हुए प्रधानमंत्री डर से झुककर कृषि काले कानून को वापस लिया है.
इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलिगेट्स आलोक कुमार दूबे ने कहा कि एक वर्ष तक कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन में पार्टी उनके साथ खड़ी रही. भाजपा नेताओं और केंद्र सरकार ने मंत्रियों ने किसान आंदोलन को कभी खालिस्तान समर्थक, तो कभी आतंकियों का आंदोलन बताते की कोशिश, परंतु लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन जारी रहा. इस आंदोलन में आज एक बड़ी सफलता मिली है, लेकिन जब तक लोकसभा से इसे संवैधानिक तरीके से वापस नहीं ले ले लिया जाता है, तबतक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने आंदोलन में मारे गए किसानों को शहीद का भी दर्जा देने की मांग की. आलोक कुमार दूबे ने कहा कि डॉ. रामेश्वर उरांव के अध्यक्ष रहने के दौरान किसानों के समर्थन में लगातार कई आंदोलनात्मक कार्यक्रम का नेतृत्व किया गया. राज्य के विभिन्न प्रमंडलों में ट्रैक्टर रैली, जनसभा से लेकर बंद का भी आयोजन किया गया. आज अंततः केंद्र सरकार ने झुकने का ऐलान किया है, लेकिन देश की जनता को अब भी भाजपा के हिण्डेन एजेंडा के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत हैं.
प्रदेश कांग्रेस के वरीष्ठ नेता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ अत्याचार किए, उन्हें प्रताडित किए गए. लेकिन देश की जनता किसानों के साथ खड़ी रही. कांग्रेस पार्टी ने सड़क से लेकर सदन तक किसानों की आवाज प्रमुखता से उठाई जिसका नतीजा है कि भाजपा को अपने निर्णय से पीछे लौटना पड़ा. वरीष्ठ कांग्रेस नेता डा. राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्षों में पहली बार एक निरंकुश शासक ने किसानों को अपनी जान गंवाने के लिए विवश किया. उन्होंने कहा किसानों को तकलीफ पहुंचाने वाली भाजपा को यह देश कभी माफ नहीं कर सकती है.
गौरी रानी की रिपोर्ट