रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह खाद्य आपूर्ति एवं वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि कांग्रेस 100 साल पहले भी महंगाई व चरमराई अर्थव्यवस्था के खिलाफ आंदोलन किया. रामेश्वर उरांव के साथ कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, मंत्री बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, डॉ. राजेश गुप्ता छोटू, प्रोफेशनल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षं आदित्य विक्रम जयसवाल सहित कांग्रेस के वरीष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी द्वारा जारी धरोहर श्रृंखला की अठारहवीं वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक ट्विटर इंस्टाग्राम व्हाट्सएप पर अपलोड कर देश के वर्तमान पीढ़ियों को अवगत कराने का काम किया.
प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव आज राष्ट्र निर्माण की अपने महान विरासत कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की उन्नीसवीं वीडियो को अपने सोशल मीडिया व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक एवं ट्विटर पर जारी पोस्ट को शेयर करने को कहा. उसके बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि 1915 से 1919 तक के कांग्रेस अधिवेशन में देश में हिंदू-मुस्लिम एकता के जरिए एक बड़े आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. डॉ. उरांव ने कहा आज से ठीक 100 साल पहले आज ही की तरह देश में विकट समस्या थी. महंगाई चरम पर थी. जनता पर अनावश्यक टैक्स का बोझ लाद दिया गया था. महामारी से हजारों लोगों की जानें चली गई थी. अहंकारी ब्रिटिश हुकूमत रोलेट कानून जैसे हथकंडो से देश की आवाज दबा रही थी.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के इसी विशेष अधिवेशन में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार, खादी का प्रयोग, चरखा काटना, सरकारी शिक्षण संस्थाओं, विधान परिषदों, न्यायालयों का बहिष्कार और पंचायतों के माध्यम से न्याय का निर्णय हुआ. साथ ही सरकारी उपाधि को लौटाने, सरकारी सेवाओं को छोड़ने, सरकारी करों का भुगतान न करने, सरकारी तथा अर्ध सरकारी उपक्रमों का बहिष्कार का भी निर्णय लिया गया. इसके साथ ही हिंदू-मुस्लिम एकता को प्रोत्साहित करने, छुआछूत को दूर करने और अहिंसा को सर्वोपरि रखा गया. उरांव ने कहा कि एक तरह से देखा जाए तो 1920 का यह कांग्रेस अधिवेशन असहयोग आंदोलन की यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ. अभी इन प्रस्तावों के जमीनी असर से ब्रिटिश हुकूमत की नींद धुआं-धुआं होना बाकी था. अभी तो असहयोग आंदोलन का रूप सामने आना बाकी था.
झारखंड सरकार में कांग्रेस मंत्री बादल पत्रलेख एवं बन्ना गुप्ता ने धरोहर वीडियो को अपने सोशल मीडिया हैंडल फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर जारी करते हुए कहा कि गांधी के नेतृत्व में चलाया जाने वाला यह प्रथम जन आंदोलन था. इसमें असहयोग और व्यास काल की नीति अपनाई गई. इस आंदोलन का व्यापक जनाधार था. शहरी क्षेत्र से मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और आदिवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला. इसमें श्रमिक वर्ग की भी भागीदारी थी इस प्रकार यह प्रथम जन आंदोलन बन गया.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं डॉ. राजेश गुप्ता छोटू ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से धरोहर वीडियो की उन्नीसवीं वीडियो जारी करते हुए कहा कि असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में चार सितंबर 1920 को पारित हुआ. जो लोग भारत से उपनिवेशवाद को खत्म करना चाहते हैं. उनसे आग्रह किया गया कि वह स्कूलों कॉलेजों और न्यायालय में न जाएं तथा कर ना चुकाएं. कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड अधिवेशन भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को संतुष्ट करने में असफल रहा. यह अधिनियम ब्रिटिश सरकार के निरंकुश स्वरूप को नहीं बदल पाया. जिसे लेकर कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन की नींव रख दी.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निरंजन पासवान, सुखेर भगत, चैतू उरांव, अमरेन्द्र कुमार सिंह, सन्नी टोप्पो, बेलस तिर्की, फिरोज रिजवी मुन्ना, देवजीत देवघरिया, सोनी नायक, जितेन्द्र त्रिवेदी, विनीता पाठक, विभय शाहदेव, सहित पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं, विधायक, सांसद और मंत्रियों ने धरोहर वीडियो को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से जनता के समक्ष प्रेषित किया है. जो काफी ट्रेंड कर यहा है.
गौरी रानी की रिपोर्ट