द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार विधानसभा के बजट सत्र का आज चौथा दिन है और आज यूक्रेन में फंसे बिहारी छात्रों पर सदन में चर्चा हुई. विपक्ष ने इस मामले में ध्यानाकर्षण में एमबीबीएस में ज्यादा फीस होने का मामला सदन में उठाया. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह एक समस्या है. इसे राष्ट्रीय लेवल पर सोचने की जरूरत है.
सीएम नीतीश ने कहा कि यह बात हमें अभी पता चली है कि हमारे यहां के छात्र बाहर पढ़ने के लिए चले जा रहे हैं. (यूक्रेन रूस व वार के बाद) यह हमारे लिए नई बात थी. हमें नई बात यह पता चली कि बिहार के छोटे-छोटे जिलों से दूर दराज से भी बिहार के छात्र विदेशों में पढ़ने जा रहे हैं. (आश्चर्य जाहिर करते हुए) बात अगर यूक्रेन में फंसे बिहार के बच्चों की करें तो वहां से छात्र-छात्राओं की वतन वापसी शुरू हो चुकी है. इसी कड़ी में पटना की विशाखा भी खार्कीव से वापस लौटी और वहां के भयावह हालात को बयां किया.
नीतीश कुमार ने कहा कि यूक्रेन में इतनी तादाद में भारत के छात्र मेडिकल पढ़ने जा रहे हैं. इस बात की जानकारी अब सामने आई है. लेकिन यह भी सच है कि मेडिकल और इस तरह की पढ़ाई को लेकर जो भी स्ट्रक्चर तय होता है. वह केंद्र सरकार की तरफ से तय किया जाता है. नीतीश कुमार ने कहा कि यह बात भी सामने आई है कि यूक्रेन में देश से सस्ती मेडिकल की पढ़ाई होती है. अगर ऐसा है तो केंद्र सरकार को इसे देखना चाहिए. नीतीश ने कहा कि पहले जो लेफ्ट विचारधारा के लोग होते थे. वहीं पढ़ाई के लिए सोवियत संघ या रूस जाते थे लेकिन अब इतनी बड़ी तादाद में अगर बिहार से छात्र जा रहे हैं तो इसे देखना होगा.
यूक्रेन संकट और बिहार में मेडिकल कॉलेज
मंगल पांडे ने यह सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमने 16 साल में छह मेडिकल कॉलेज बनाए हैं जबकि 56 साल में छह बने थे. वहीं हम अगले चार साल में चार और मेडिकल कॉलेज खोलने जा रहे हैं. मंगल पांडे ने कहा कि 20 साल में हम 12 मेडिकल कॉलेज खोल देंगे.
बिहार विधानसभा की कार्रवाई में ध्यानाकर्षण सूचना पर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक सवाल पर ध्यानाकर्षण में जदयू विधायक संजीव कुमार, देवेश कांत, बीजेपी विधायक राजेश कुमार सिंगला, चंद्र कुमार रोशन, मिश्रीलाल यादव और राम सिंह सहित दर्जनों विधायकों ने यह मांग की. वहीं बिहार में सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों की कमी के कारण बिहार के हजारों छात्रों को एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए निजी चिकित्सा महाविद्यालय में नामांकन के लिए हर साल नामांकन में 12 लाख रुपए और छात्रावास के लिए तीन लाख कुल मिलाकर 15 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं.
विशाल भारद्वाज की रिपोर्ट