RANCHI: झारखंड में जारी सियासी घटनाक्रम के बीच हेमंत सोरेन सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाएगी. हेमंत सोरेन सरकार ने 5 सितंबर को विधानसभा की विशेष बैठक बुलाई है. झारखंड के मुख्यमंत्री के विधायक के रूप में बने रहने को लेकर जारी भ्रम के बीच हेमंत सोरेन सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान विश्वास मत प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव रखेंगे. विधानसभा सचिवालय द्वारा विधायकों को भेजे गए पत्र के अनुसार, मुख्यमंत्री ने बहुमत साबित करने के लिए विश्वास मत प्रस्ताव लाने की इच्छा जाहिर की है.
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के पास 49 विधायकों का समर्थन है, इसके बावजूद विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार विश्वास मत पेश करने वाली है. ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है. दूसरी तरफ आरक्षण बढ़ाने पर हेमंत सोरेन प्रत्येक दिन विपक्षी दलों को सियासी मात दे रहे हैं, ऐसे में अब उन्होंने एक दिन का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमे हो सकता है कि पिछड़े वर्ग का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का फैसला लिया जा सकता है.
दरअसल झारखंड में ये मांग अर्से से की जा रही है. इसके अलावा अनुसूचित जनजाति का आरक्षण प्रतिशत भी बढ़ाया जा सकता है. स्थानीय नीति पर हेमंत सरकार जमीन के अंतिम सर्वे को आधार बनाना चाहती है. झामुमो के भीतर भी इसे लेकर दबाव है. मांग 1932 के खतियान को आधार बनाने की है, लेकिन यह कयास लगाया जा रहा है कि 1965 को कट आफ डेट बनाया जा सकता है.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सदन में अपनी रणनीति तैयार करने के लिए रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि “झारखंड में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
हमारे प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी और उन्होंने हमें एक या दो दिन में स्थिति साफ करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ, इसलिए हम विधानसभा में अपनी बात रखेंगे और बहुमत साबित करेंगे. वर्तमान में 81 सदस्यीय सदन में सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं जबकि मुख्य विपक्षी दल भाजपा के 26 विधायक हैं.
रांची से गौरी रानी की रिपोर्ट