रांची : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और लॉकडाउन को लेकर आगे किस तरह का रुख हो, इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने 17 मई के बाद लॉकडाउन का स्वरूप कैसा होना चाहिए. क्या-क्या रियायतें दी जानी चाहिए. इसे लेकर सभी राज्यों से 15 मई के पहले रोड मैप तैयार कर केंद्र सरकार को भेजने को कहा. ताकि राज्य द्वारा मिले सुझाव के अनुरूप चौथे चरण के लॉकडाउन की रणनीति केंद्र सरकार तैयार कर सके. राज्यों से यह भी कहा कि लॉकडाउन को लेकर अपने राज्य की परिस्थितियों के अनुरूप रेड जोन, ऑरेंज जॉन या ग्रीन जोन में तब्दील कर छूट को लेकर निर्णय ले सकती है.
किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री में नहीं दिखी कोई निराशा
प्रधानमंत्री ने इस बात के लिए सभी राज्यों की तारीफ कि किसी भी मुख्यमंत्री में कोरोना से जंग को लेकर किसी भी तरह की कोई निराशा नहीं है. सभी राज्यों के मुख्यमंत्री पूरी ताकत के साथ इस संकट की घड़ी का सामना कर रहे हैं और केंद्र सरकार को पूरा सहयोग कर रहे हैं.
इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कोरोना महामारी से निपटने को लेकर राज्य सरकार द्वारा की जा रही पहल से प्रधानमंत्री को अवगत कराया. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट और लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जो एडवाइजरी जारी किए जाते रहे हैं, उसका झारखंड सरकार अक्षरशः पालन करती आ रही है और आगे भी केंद्र जो निर्णय लेगी उसे भी राज्य सरकार पालन करेगी. सोरेन ने कहा कि कोरोना महामारी से जंग लंबी चलेगी. ऐसे में covid 19 के प्रोटोकॉल का कड़ाई से राज्य में पालन हो रहा है.
लोगों की जान बचाना है सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा की कोरोना संकट की इस मुश्किल घड़ी में लोगों की जान बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता है. हालांकि, आर्थिक मजबूती भी बेहद जरूरी है. ऐसे में जीवन और जीविका के बीच संतुलन बनाकर हमें कार्यों को अंजाम देने के लिए आगे आना होगा. इसमें केंद्र सरकार का सहयोग अपेक्षित है. उन्होंने प्रधानमंत्री को इस बात से भी अवगत कराया कि झारखंड में कोरोना से रिकवरी रेट 50 फीसदी तक पहुंच चुकी है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मनरेगा पर दिया विशेष जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जुड़ने के लिए मनरेगा की योजनाओं को लागू करने पर विशेष जोर दिया जाए. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि मनरेगा का बजट और मानव दिवस सृजन को 50 फीसदी तक बढ़ाया जाए और मनरेगा की मजदूरी दर में भी बढ़ोतरी की जाए. उन्होंने कहा कि मनरेगा को तरजीह मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में काफी मदद मिलेगी.
कर प्रणाली में हो सुधार
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में खनन कार्य की काफी अहमियत है. इस राज्य को खनन से काफी राजस्व की प्राप्ति होती है. ऐसे में कोरोना संकट के इस दौर में कर संग्रह प्रणाली को थोड़ा बदला जाए ताकि राज्य अपने संसाधनों की बदौलत राजस्व वसूली कर सके. इससे राज्यों की वित्तीय हालत सुधरेगी. मुख्यमंत्री में प्रधानमंत्री से जीएसटी की राशि भी देने का आग्रह किया.
प्रवासी मजदूरों के आने से बढ़ रही है चुनौतियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के वापस आने से राज्यों की चुनौतियां बढ़ रही हैं. सबसे बड़ी चुनौती उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया है. ऐसे में केंद्र सरकार से पर्याप्त सहयोग की उम्मीद है. उन्होंने प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट कराया कि प्रवासी मजदूरों के लौटने का सिलसिला जारी है. अभी झारखंड में मात्र 50 से 55 हजार प्रवासी मजदूर ही लौट पाए हैं, जबकि इनकी संख्या लगभग सात लाख है. ऐसे में प्रवासी मजदूरों को इन विषम परिस्थितियों में उनके घर तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार कोई ठोस उपाय करें ताकि उन पर पनप रहे भय को भी दूर किया जा सके.
झारखंड मंत्रालय सभागार में वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ. नीतिन मदन कुलकर्णी, एडीजी पीआरके नायडू मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल जी तिवारी, प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद और मुख्यमंत्री के वरीय आप्त सचिव सुनील कुमार श्रीवास्तव मौजूद थे.
सन्नी शरद की रिपोर्ट