संदीप सिंह
पुलिस को देखकर अगर आपके जहन में गलत विचार आते हैं. अगर आपको लगता है कि पुलिस आपकी दुश्मन है तो फिर ये खबर आपके लिए ही है. पुलिसवालों के प्रति देश के नागरिकों की सोच का पोस्टमार्टम हम अपनी इस रिपोर्ट में करने जा रहे हैं जो ये साबित कर देगी कि पुलिस को लेकर आपकी धारणा बिल्कुल गलत है. वैसे तो पुलिस की ड्यूटी आसान नहीं होती. पुलिस को एक साथ कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बात चाहे समाज में हो रहे अपराध की हो. नक्सलवाद की हो या फिर आतंकवाद की.

आपको बता दें कि पुलिस की पैनी नजर हर वक्त समाज के इन्हीं दुश्मनों पर रहती है. शहर के चौक-चौराहो से लेकर गांव की गलियों तक. उंची पहाड़ों से लेकर जंगल की विरानी तक पुलिस को पहरा देना पड़ता है. घर परिवार से दूर, हर खुशी हर त्योहार से दूर पुलिसवाले हर वक्त मुस्तैदी से अपने फर्ज को अंजाम देते हैं ताकि आप सुरक्षित रह सकें.
इस वक्त देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है. आपातकाल के इस हालात में अगर सबसे बड़ी जिम्मेवारी किसी के कंधों पर है तो वो है पुलिस. पुलिस मुश्किल की इस घड़ी में जिसतरह चुनौतियों का सामना कर रही है वह काबिले तारीफ है. एक तरफ जहां पुलिस लॉकडाउन के दौरान लोगों को घरों में रहने को प्रेरित कर रही है. तो वहीं दूसरी तरफ आपकी हर समस्या का निदान भी पुलिसवाले ही कर रहे हैं. बात भूखों का खाना खिलाने की हो. जरुरतमंदों तक राशन या दवा पहुंचाने की, पुलिस बखूबी अपने फर्ज को अंजाम दे रही है.

दरअसल, महामारी के बीच जारी जंग के दौरान पुलिस अपराधियों से भी निपट रही है. पुलिस हर उस शख्स को सबक सिखा रही है जो आपकी सुरक्षा और देश की संरक्षा से खिलवाड़ करने की हिमाकत कर रहा हैं.
पुलिस की चुनौतियों को अगर समझना है तो फिर इन आंकड़ों पर गौर कीजिए
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार प्रति एक लाख नागरिकों की सुरक्षा के लिए 222 पुलिसकर्मी होने चाहिए, लेकिन भारत में यह आंकड़ा 144 का ही है. बात अगर बिहार की करें तो हालात और भी बद्तर हैं. बिहार सूबे की आबादी करीब 12 करोड़ है, और यहां हर एक पुलिसवाले के कंधे पर 840 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेवारी है. झारखंड में भी तस्वीर कुछ अलग नहीं है. राज्य की साढ़े तीन करोड़ आबादी की सुरक्षा के लिए महज 70 हजार पुलिसवाले तैनात हैं. यानि सिर्फ एक पुलिसवाले के जिम्मे 956 लोगों की सुरक्षा की जिम्मेवारी है. अमूमन हर पुलिसवाले को 10 घंटे की कड़ी ड्यूटी करनी पड़ती है वो भी सुविधाओं के अभाव में.

अब इन आंकड़ों से तो आप समझ ही गए होंगे कि पुलिस में शामिल होना और आपकी सुरक्षा में अपने फर्ज को अंजाम देना कोई आसान काम नहीं है. तो अब आप तय कीजिए कि अगली बार जब भी किसी पुलिसवाले से सामना होगा तो अपके दिल शक या नफरत नहीं बल्कि उनके जजबे के लिए सम्मान की भावना होगी. यकीन मानिए पुलिसवालों के प्रति आपका अपनापन और आदर ही उन्हें देश और समाज को सुरक्षित रखने और भी हिम्मत देगा. कानून को अमल में लाने में पुलिस का साथ निभाईए और देश को सुरक्षित बनाईए.
