नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण खाली रह जाने वाली हजारों मेडिकल सीटों के मुद्दे को आज लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उठाया. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि पिछले सात वर्षों में तकरीबन 100 नए मेडिकल कॉलेज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से खोले गए हैं. 21 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि 2021 में 80 हजार छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देंगे. वितमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 602 जिलों में क्रिटिकल केयर यूनिट खोलेंगे. लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि 2019 में साढ़े चार हजार सीटें और 2020 में पोस्ट ग्रेजुएशन की 4000 सीटें मेडिकल कॉलेजों में खाली रहीं.
सीटें खाली रह जाने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि 50 परसेंटाइल पासिंग मार्क्स होना चाहिए. अंडर ग्रेजुएशन में 12 लाख बच्चे परीक्षा देते हैं. छह लाख बच्चों का सेलेक्शन होता है, 60 हजार बच्चे मेडिकल में जाते हैं. लेकिन हमें समझना पड़ेगा कि पोस्ट ग्रेजुएशन एमबीबीएस डॉक्टर जो यूनिवर्सिटी से पास होते हैं. वही यह परीक्षा देते हैं और इनमें से 50 प्रतिशत बच्चों को चुनना बाकी 50 प्रतिशत बच्चों के साथ अन्याय है.
सभापति से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन में और सुपर स्पेशियलिटी में 50 फीसदी का परसेंटाइल के नियम को समाप्त करके पोस्ट ग्रेजुएशन में नई ट्रेनिंग करवाने और जो डॉक्टर जिस लेवल पर सीट भर सके, उसे भरा जाए. उन्होंने कहा कि सभी एक लाख डॉक्टर्स की एक मेरिट लिस्ट बने, ताकि एमसीएच और डीएम की देश की सभी सीटों को भरा जा सके. सभापति एनके प्रेमाचंद्रन ने डॉ. संजय जायसवाल की मांग को वाजिब बताते हुए सरकार द्वारा इस दिशा में काम करने का भरोसा जताया.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट