रांची : झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी भावुक होकर रोते हुए सदन से बाहर निकले. मीडिया से बात करते हुए अमर कुमार बाउरी के आंखों से आंसू की धारा बहने लगी. अपनी पीड़ा को बताते हुए उनकी आवाज रूंध गई. बाउरी ने रुंधे हुए गले से बताया कि एक दलित होने के कारण उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया गया. यह भेदभाव सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि वह अनुसूचित क्षेत्र से एक दलित विधायक हैं. इसलिए उन्हें सदन में बोलने से रोका गया. वह सदन में चीखते रहे कि उन्हें बोलने का मौका दिया जाए.
उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर के द्वारा लिखित संविधान में बराबरी का अधिकार दिया गया है. बाउरी ने कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में एक विशेष समुदाय के लिए जगह आवंटित किया गया. इसके खिलाफ जब भाजपा के कार्यकर्ता विरोध कर रहे थे तो, बर्बरतापूर्वक इस पर लाठीचार्ज किया गया. लोकतंत्र की जिस तरीके से हत्या की जा रही थी, इसी विषय पर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाए थे. लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. उन्हें कार्य स्थगन प्रस्ताव तक पढ़ने नहीं दिया गया. जब वह अपनी बात को सदन में रखना चाह रहे थे तो कांग्रेस के विधायक उन्हें बोलने तक नहीं दिया. यह एक दलित को दबाने की मानसिकता साफ जाहिर होती है.
गौरी रानी की रिपोर्ट
