कोरोना संकट के बीच मुख्यमंत्री ने भारत सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज पर विचार-विमर्श करते हुए कई बड़े निर्णय लिए है. जिनमें कृषि रोडमैप के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने सहित मखाना, शाही लीची एवं शहद उत्पादों की ब्रांडिंग पर गहन विमर्श किया गया है.
मुख्यमंत्री के तरफ क्या क्या जारी हुए हैं निर्देश – देखिये
मखाना एवं मखाना उत्पादों को बढ़ावा देने पर बल दें। मखाना का उत्पादन क्षेत्र बढ़ायें, उसकी प्रोसेसिंग एवं मखाना उत्पादों के लिये बाजार को बढ़ावा दें। इसकी ब्रांडिंग भी करें।
मखाना का व्यापार बिहार से ही हो, इसकी योजना बनायें। इससे बिहार की अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी।
मखाना के साथ-साथ शाही लीची, चिनिया केला, आम, फल उत्पादन, मेंथा तेल, खस तेल, कतरनी चावल एवं अन्य कृषि उत्पादों के कलस्टर को भी बढ़ावा दें।
कृषि उत्पादों के लिये बाजार की उपलब्धता के साथ-साथ पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर भी ध्यान दें।
गंगा नदी के तट पर बनाये गये जैविक खेती कोरिडोर में मेडिसिनल प्लांट के उत्पादन को बढ़ावा दें।
लेमन ग्रास, खस तथा मेंथा के उत्पादन एवं उत्पादन क्षेत्र को बढ़ाया जाय।
राजगीर पहाड़ियों पर काफी अधिक संख्या में मेडिसिनल प्लांट हैं, इसका अध्ययन करवायें तथा इनके उपयोग के लिये संस्थागत व्यवस्था की जाय।
बिहार में शहद उत्पादन की असीम संभावनायें हैं। इसके लिये शहद की प्रोसेसिंग यूनिट तथा मार्केटिंग एवं ब्रांड वैल्यू पर विशेष बल दिया जाय।
शहद उत्पादन को सहकारी संस्थानों से लिंक किया जाय। शहद से संबंधित वैल्यू एडेड उत्पादों यथा रॉयल जेली, बी0 वैक्स, पौलेन, वेनम आदि, जिनके संबंध में कृषि रोडमैप में भी बल दिया गया है, को बढ़ावा दें।
केन्द्र सरकार एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म लागू करने जा रही है. बिहार में 2006 से ही ए0पी0एम0सी0 खत्म कर दी गयी सरकार अब उस मॉडल को अपना रही है, यह अच्छी बात है जीविका द्वारा की जा रही कान्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दें तथा विस्तार करें।
केन्द्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज का अधिक से अधिक लाभ कृषकों एवं श्रमिकों को हो सके, इसके लिये अनिवार्य कार्रवाई करें। अगर आवश्यकता हो तो प्रावधानों में भी सुधार पर विचार करें।
बड़े एवं छोटे पशुओं यथा गाय, भैंस, बकरी, भेंड, सुअर का शत प्रतिशत एफ0एम0डी0 टीकाकरण किया जाय। इस संदर्भ में कार्रवाई सुनिश्चित करें।
बिहार के बाहर से आ रहे श्रमिकों के लिये उनकी स्किल मैपिंग के अनुसार रोजगार सृजन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। इसके लिये राज्य में संचालित इकाईयों में श्रमिकों को उनके स्किल के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराया जाय, साथ ही नयी निर्माण इकाईयों की स्थापना की दिशा में भी समुचित कार्रवाई की जाय। नये उद्योगों को लगाने में सरकार करेगी पूरी मदद।
स्किल सर्वे के अंतर्गत श्रमिकों के स्किल की विवरणी के अनुरूप क्या-क्या नये उद्योग लगाये जा सकते हैं, क्या मदद दी जा सकती है इस पर विचार करें। आवश्यकता होने पर नीतियों में सुधार किया जा सकता है। इसके लिये वित्त विभाग, उद्योग विभाग, श्रम अन्य संबंधित विभागों के सचिवों की एक राज्यस्तरीय बनायी जानी चाहिये जो इस संबंध में सुझाव देगी।
मनरेगा में अधिकतम श्रम दिवस की सीमा को 400 से 200 स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के बीमा से संबंधित तिथि केन्द्र से अनुरोध करें।
