PATNA :कोविड जब दो साल पहले आया था तो लोगों की कमर तोड़ दी थी। बहुत से लोगों की जॉब तक छूट गया था,लेकिन बिहार के युवा चाह ले तो बिहार की आर्थिक दशा और दिशा बदल सकता है.दरसरल दो साल पहले खुद की जॉब बचाने के लिए परेशान इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर पहला काजू प्रोसेसिंग यूनिट खोला है।
बता दें कि ,अभिषेक मधुबनी के बेनीपट्टी के बाजितपुर गांव के रहने वाले है। एक वक्त था जब वह खुद की नौकरी नही बचा पा रहे थे.लेकिन आज सीधे तौर पर 23 लोगों को जॉब देने के साथ 50 महिला और पुरुष को जॉब दे रहे हैं। इससे गांव में पलायन तो रुका है ही रोजगार के साधन भी सृजित हो रहे है।अभिषेक बताते हैं कि ,मुम्बई में पिछले दस साल से काजू का ट्रेडिंग कंपनी में काम करते थे।
दो साल पहले कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन लगा। लॉकडाउन के समय गांव आए। गांव में पलायन की स्थिति को देखते हुए काजू प्रोसेसिंग यूनिट खोला दिए।अभिषेक के पास काजू बेचने का अनुभव था, लेकिन दिक्कत यह था कि बिहार में काजू की खेती नहीं होती थी। वह मुम्बई, मध्यप्रदेश से कच्चा माल मंगवाते हैं और फिर प्रोसेसिंग कर वहीं अच्छी कीमत पर बेचते हैं।
काजू प्रोसेसिंग यूनिट बनाने के लिए अभिषेक ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 25 लाख रुपए का लोन लिया है। बाकी 20 लाख रुपए जमीन बेचकर लगा दिया। इसके बदौलत पांच महीने में पांच लाख रुपए की आमदनी कमा चुके हैं। वह बताते हैं कि बाहर से काजू मंगवाने पर बिजनेसमैन को एक हजार रुपए किलो मिलता है। बिहार में प्रोसेसिंग होने से 800 रुपए किलो दे रहे हैं।
पटना सुरभि सिंह की रिपोर्ट