द एचडी न्यूज डेस्क : देश इस वक्त कोरोना संकट से जूझ रहा है. महामारी से बचाव के लिए पूरे देश में अगले 17 मई तक लॉकडाउन लागू है. ऐसे में काफी लंबे समय से पूरा देश ठहर सा गया है. इसका बड़ा असर बिहार पर भी दिख रहा है. प्रदेश के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन सबसे बड़ी बात कि बिहार उन चुनौतियों का सामना डटकर कर रहा है. आज हालात ऐसे हैं कि कोरोना संकट के आगे बड़े-बड़े देशों ने भी घुटने टेक दिए हैं, ऐसे हालात में पहले से ही पिछड़ा बिहार अगर आज मजबूती के साथ महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है तो इसका श्रेय बिहार की 13 करोड़ जनता और यहां की सरकार को जाता है. ये बातें कहीं जदयू के वरीय नेता रितेश रंजन उर्फ बिट्टू सिंह ने.
जदयू के वरीय नेता रितेश रंजन का कहना है कि कोरोना संकट के इस दौर में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने अबतक जो फैसले लिए हैं वह कई मायनों में काफी अहम हैं. बिट्टू सिंह की माने तो लॉकडाउन के दौरान बिहार की गरीब जनता के लिए भोजन की व्यवस्था करना सबसे बड़ी चुनौती थी, लेकिन नीतीश जी ने पहली ही बैठक में साफ कर दिया कि किसी भी हाल में जनता को भूखे नहीं रहने दिए जाएगा. सीएम ने मामले की गंभीरता को समझा और बिहार में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत 8 करोड़ 71 लाख लोगों के लिए पीडीएस के जरिए राशन की व्यवस्था सुनिश्चित की. इतना ही नहीं सरकार की तरफ से सभी राशन कार्ड धारी परिवारों को एक-एक हजार रुपया तत्काल दिए गए.
पेंशनर्स को 3 महीने की पेंशन एडवांस देने का फैसला भी सरकार ने तुरंत लिया साथ ही सभी प्रकार के पेंशन जैसे वृद्धा, दिव्यांग, विधवा पेंशन पाने वालों को अगले 3 महीने की पेंशन 31 मार्च से पहले DBT के माध्यम से उनके खाते में भेज दी गई. सरकार ने इसके साथ ही साथ ही कक्षा 1 से 12 तक के स्टू डेंट्स को भी 31 मार्च तक की स्कॉलरशिप दे दी है.
जदयू के वरीय नेता रितेश रंजन उर्फ बिट्टू सिंह का कहना है कि बिहार सरकार ने एक तरफ जहां लॉकडाउन में जनता की जरुरतों को पूरा किया तो वहीं कोरोना के खिलाफ जारी जंग में अहम योगदान देने वाले मेडिकल कर्मियों और मरीजों के लिए भी व्यवस्था को काफी हद तक दुरुस्त किया. जरुरी दवाओं से लेकर सेनेटाइजर, मास्क से लेकर पीपीई कीट तक की समूचित व्यवस्था की गई ताकि इस महामारी से बिहार मजबूती के साथ लड़ सके. कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए अपनी सेवा दे रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का भी नीतीश सरकार ने खास ध्यान रखा है और सीएम ने सेवा कर रहे डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को बोनस देने का ऐलान भी कर दिया.
सभी जानते हैं कि बिहार एक कृषि प्रधान प्रदेश है ऐसे में यहां लॉकडाउन के दौरान किसानों को फसल की चिंता भी सरकार को रही और केंद्र से इजाजत मिलने के बाद बिहार सरकार ने किसानों के लिए खास रणनीति तैयार की. नीतीश कुमार के नेतृत्व में फैसला किया गया कि किसान सुरक्षा को ध्यान में रखकर फसलों की कटाई कर सकेंगे. किसानों की जरुरतों को ध्यान में रखकर सरकार ने तय किया कि कृषि उपक्रम की सभी दुकानें भी खोली जाएंगी ताकि किसानों को समस्या न हो.
रितेश रंजन उर्फ बिट्टू सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार बिहार से बाहर रह रहे मजदूरों को भी हर संभव मदद पहुंचा रही है. लॉक डाउन के दौरान दूसरे प्रदेशों में लोगों के भोजन और दवा की व्यवस्था को वहां की सरकार की मदद से मुहैया कराया गया. इतना ही नहीं सरकार ने बाहर रह रहे बिहारियों के खातों में 1-1 हजार रुपया का सहयोग राशि भी दिया ताकि वह कुछ जरुरतों को पूरा कर सकें.
लॉकडाउन का तीसरा चरण जारी है. ऐसे में सरकार की सबसे बड़ी चिंता अब बाहर फंसे बिहारियों को सकुशल वापस लाने की है. इस मुहिम में केंद्र की नरेंद्र मोदी जी की सरकार बिहार की हरसंभव मदद कर रही है. शनिवार को जयपुर से पटना के लिए विशेष ट्रेन 1200 मजदूरों को लेकर दानापुर पहुंचे, इसके अलावा आज शाम केरल से भी दो स्पेशल ट्रेनें बिहार के मजदूरों को लेकर रवाना हो रही है. बिहार सरकार की कोशिश चरणबद्ध तरीके से बाहर रह रहे मजदूरों और छात्रों को वापस लाने की है जिसके लिए सरकार तेजी से काम कर रही है.
बिट्टू सिंह ने बताया कि लाखों की तादाद में बाहर से आने वाले लोगों के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने विशेष व्यवस्था की है. सभी जिलों में ब्लॉक स्तर पर क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं. वहां सभी के रहने और खाने की पूरी व्यवस्था की गई है. जांच अवधि पूरी होने के बाद लोगों को उनके घर भेज दिया जाएगा. बिट्टू सिंह का कहना है कि सरकार वापस लौटे लोगों के रोजगार को लेकर भी चिंतित है और जल्द ही इस दिशा में अहम फैसला लिया जाएगा.