पटना : बिहार सरकार सभी विभागों के वैसे कर्मियों को जबरन रिटायर करने की तैयारी में है, जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक है और वे कुशलतापूर्वक काम नहीं कर पा रहे हैं. बिहार में 50 से अधिक उम्र वाले सरकारी कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों को परफॉर्मेंस और व्यवहार पर अब ध्यान देना होगा. बिहार सरकार के गृह विभाग ने इसे देखने के लिए समिति बना दी है. इस समिति की अनुशंसा पर जून से जबरन रिटायरमेंट शुरू हो जाएगा.
गृह विभाग से शुरुआत के बाद अब अन्य विभागों में भी अगले महीने समिति बनने लगेगी. फिलहाल गृह विभाग के तहत काम करने वाले अफसरों से लेकर पुलिस के सिपाही तक के लिए आदेश आ चुका है. 23 जुलाई 2020 को बिहार सरकार ने इस निर्णय का संकल्प-पत्र जारी किया था. अब इसे एक-एक कर लागू किया जाएगा.
बिहार में गृह विभाग 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मियों की कार्यदक्षता की समीक्षा करेगा. इसके लिए अपर मुख्य सचिव और सचिव की अध्यक्षता में दो समितियों का गठन किया गया है. हर साल जून और दिसंबर माह में प्राप्त आवेदनों के आधार पर बैठक का आयोजन होगा. इसमें 50 बर्ष से अधिक के कर्मियों की कार्यदक्षता के अनुसार, आगे कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी. साथ ही जरूरत होने पर सेवानिवृत्ति भी दी जाएगी.
राजद ने कहा है कि ये उस राज्य का ‘तुगलकी फरमान’ है जहां एक बड़ी आबादी को 40 से 45 वर्ष की उम्र में एक अदद नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है. और हां! ‘अक्षमता’ अगर पैमाना हो तो ‘शासनादेश’ से उत्पन्न इस सरकार के मुखिया को ही रिटायर हो जाना चाहिए. नीतीश कुमार की उम्र 50 से ज्यादा है और वह काम मे भी अक्षम है इसीलिए तत्काल उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
इसके लिए बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मियों की कार्यदक्षता और व्यवहार की समीक्षा करने का निर्देश जारी किया है और इसे लागू करने के लिए ही गृह विभाग ने दो समितियों का गठन भी किया है.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट