रांची : झारखंड में कांग्रेस नेतृत्व में बुधवार को बड़ा बदलाव देखने को मिला. प्रदेश अध्यक्ष के साथ चारों कार्यकारी अध्यक्ष भी बदले गए. कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर को बड़ी जिम्मेदारी दी गई. उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया. वे डॉ. रामेश्वर उरांव की जगह लेंगे. उनके साथ ही चारों कार्यकारी अध्यक्षों को भी बदल दिया गया. अब सांसद गीता कोड़ा, विधायक बंधु तिर्की, पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो और शहजादा अनवर को नया कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और सांगठनिक मामलों के प्रभारी केसी वेणुगोपाल की ओर जारी पत्र में तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति किए जाने की घोषणा की गई.
दरअसल, कांग्रेस आलाकमान ने इस बार गैर आदिवासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया था. कमेटी के फेरबदल में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह की चली और राजेश ठाकुर का नाम तय हो गया. वे प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष के अलावा प्रदेश मीडिया प्रभारी भी थे. वे बीस सूत्री कार्यान्वयन समिति में कांग्रेस की ओर से चार सदस्यीय कमेटी में शामिल थे. इस कमेटी को सहयोगी दलों से बात कर अपनी हिस्सेदारी तय करनी थी. डॉ. रामेश्वर उरांव ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी. उनके नेतृत्व में पार्टी ने 16 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं सहयोगी दल झामुमो को 30 और राजद को एक सीट पर जीत मिली थी. इस तरह गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी.
इस सरकार में डॉ. रामेश्वर उरांव वित्त एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री हैं. एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत के कारण मंत्री बनते ही रामेश्वर उरांव का हटना तय हो गया था. रामेश्वर उरांव के मंत्री बनते ही एक व्यक्ति एक सिद्धांत के कारण प्रदेश अध्यक्ष के बदलने की बात शुरू हो गई थी. कोराना काल और शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व के विभिन्न राज्यों में संगठन को लेकर व्यस्त होने की वजह से झारखंड पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा था. कुछ महीने पहले चार विधायकों ने केंदीय नेतत्व से शिकायत की थी. हाल ही में चार महिला विधायकों ने भी शासन-प्रशासन में उनकी बात न सुनने का मुद्दा उठाया था. ये भी प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव के कारण बने.
राजेश ठाकुर को ही जिम्मेदारी क्यों ?
कार्यकारी अध्यक्ष के साथ ही मीडिया प्रभारी की भूमिका निभाते हुए वे लगातार केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में रहे. हमेशा मुखर रहे. फेरबदल में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह का पलड़ा भारी रहा. इसका फायदा राजेश ठाकुर और अन्य कार्यकारी अध्यक्षों को मिला. संतुलन बनाने के लिए दो आदिवासी चेहरों को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. सांसद गीता कोड़ा आदिवासी चेहरा होने के साथ-साथ काफी सक्रिय हैं. इसी तरह बंधु तिर्की भी आदिवासी चेहरा होने के साथ सबसे ज्यादा सक्रिय रहने वाले विधायकों में से एक हैं. शीर्ष नेतृत्व उनके काम से प्रभावित था. वहीं जलेश्वर महतो की कुर्मी समुदाय में अच्छी पकड़ है. वे मंत्री भी रहे हैं. उधर, शहजादा अनवर को मुस्लिम चेहरे के रूप में कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है.
महिला विधायकों की समस्या क्या राजेश ठाकुर सुलझा पाएंगे
डॉ. रामेश्वर उरांव प्रदेश अध्यक्ष के साथ मंत्री भी थे. जबकि राजेश ठाकुर स्वतंत्र रूप से पार्टी का काम देखेंगे. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वे महिला विधायकों की समस्याओं को सुलझा पाएंगे. राजेश ठाकुर राजेश ठाकुर ने कहा कि मेरे जैसे साधारण कार्यकर्ता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने के लिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल और आरपीएन सिंह का आभार. मेरे लिए कोई अपना-पराया नहीं, बल्कि टीम के साथ काम करेंगे. संगठन को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाएंगे. हर उदास कार्यकर्ता के चेहरे पर मुस्कान लाएंगे. हर साधारण कार्यकर्ता को इतनी तरजीह मिलेगी कि वह खुद को प्रदेश अध्यक्ष के बराबर समझे. किसी से भेदभाव नहीं होगा.
गौरी रानी की रिपोर्ट