द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार विधानसभा में शराबबंदी कानून संशोधन पास हुआ. बिहार विधानसभा में मद्य निषेध व उत्पाद संशोधन विधेयक-2022 पास हुआ. मंत्री सुनील कुमार ने सदन में पक्ष रखा था. इस कानून में शराब पीने वालों लोगों को जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा. मंत्री की तरफ से कहा गया है कि निर्दोष को परेशान नहीं करेंगे, जबकि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. सभी बिदुओं पर विचार कानून में संशोधन किया गया.
आपको बता दें कि सदन में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा की मौजदूगी में यह बिल पास हुआ. साथ ही सदन में सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद सहित विपक्ष के तमाम नेता भी मौजूद थे. पकड़े गए आरोपियों पर जुर्माना कितना लगेगा अभी नहीं बताया गया है. संशोधन विधेयक का विधानसभा में विरोध नहीं हुआ. कुछ सदस्यों की खास मांगों को अस्वीकार किया गया.
मंत्री सुनील कुमार ने विधानसभा में जवाब देते हुए कहा कि पूरे सूबे में 74 स्पेशल कोर्ट का गठन किया गया है. धंधेबाजों पर कार्रवाई के लिए संशोधन विधेयक पेश किया गया. 1230 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कारवाई हुई है. नए विधेयक के पास हो जाने से राज्य सरकार को इस श्रेणी के अपराधों के लिए दिए जाने वाले दंड को निर्धारित करने का विशेषाधिकार मिलेगा. पहले ये अधिकार कोर्ट के पास था. बता दें कि राज्य में कोर्ट और जेल में बढ़ते हुए दबाव को देखते हुए सरकार साल 2021 के अंत से ही कानून में संशोधन की तैयारी में थी. इसी क्रम में आज इसे मूर्त रूप दिया गया है.
छूट जाएंगे पहली बार पीने वाले
बता दें कि नए शराबबंदी कानून में पियक्कड़ों को बहुत छूट दी गई है. पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर उन्हें मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माना लेकर छोड़ा जाएगा. वहीं, जुर्माना नहीं देने पर एक महीने की जेल होगी. जबकि बार-बार शराब पीकर पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी. वहीं, नए कानून के तहत इस तरह के मामलों में सुनवाई एक साल के अंदर पूरी करनी होगी. भारी संख्या में पुलिस अगर अवैध शराब पकड़ती है तो पुलिस को अधिकार होगा की वो शराब का सैंपल रखकर बाकी बची शराब नष्ट कर दे. पुलिस को ऐसा करने के लिए कलेक्टर से अनुमति की जरूरत नहीं होगी.
बिहार सरकार के हाथ होगी कमान
बता दें कि शराबबंदी कानून संशोधन विधेयक 2022 में बिहार सरकार शराब की जब्ती, तलाशी व शराब नष्ट करने का निर्देश जारी करेगी. शराबबंदी कानून संशोधन विधेयक 2022 में दंडनीय सभी अपराध धारा-35 के अधीन अपराधों को छोड़कर सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा की जाएगी. ऐसे मामलों के अधीन गिरफ्तार व्यक्ति जो अभी भी जेल में हैं, उन्हे रिहा कर दिया जाएगा. हालांकि, उसे छोड़ा तब ही जाएगा अगर वह धारा 37 में उल्लिखित कारावास की अवधि पूरा तक चुका होगा.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट