PATNA: अभी- अभी बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है जहां मीसा भारती के आवास सीबीआई वापस लौट रही है। वहीं दूसरी तरफ राजद के बड़े नेता शिवानंद तिवारी ने की माने तो सीबीआई की छापेमारी पूरी तरह सोची समझी साजिश है। राबड़ी देवी के आवास सहित लालू यादव से जुड़े अन्य स्थानों पर सीबीआई की छापेमारी कहीं नीतीश कुमार को चेतावनी तो नहीं है।
जातीय जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच बढ़ती हुई नज़दीकी भाजपा को असहज कर रही है। छापेमारी के समय का चयन तो इसी ओर इशारा कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जातीय जनगणना के विरुद्ध है। जातीय जनगणना से यह सामने आ जाएगा किनकी कितनी संख्या है और उसके अनुपात में देश के संसाधनों का कौन कितना उपभोग कर रहा है। यह जानकारी बहुसंख्यक आबादी जो वंचित है उसमें साधनों के बँटवारे की सशक्त और वैध माँग उठ सकती है।
जातीय जनगणना को हर हाल रोकने के संघ के इसी उद्देश्य को पुरा करने के लिए बीस वर्ष पुराने मामले में अब तक नींद में सोई सीबीआई अचानक जाग गई। जबकि जो भी आरोप अभी बताया जा रहा है वह पंद्रह बीस वर्षों से सार्वजनिक है। लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहे। सुजाता मामले में पाँच वर्ष पूर्व भी राबड़ी देवी के आवास पर छापामारी हुई थी। इतने दिनों बाद अचानक पुनः उसी मामले में छापेमारी की गई है। वह भी तब जब दो दिन पहले नीतीश कुमार ने घोषित किया है कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने जा रहे हैं।
भाजपा किस तरह केंद्रीय जाँच एजेंसियों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक मक़सद हासिल करने के लिए कर रही है यह दुनिया देख रही है। हम उम्मीद करते हैं कि नीतीश कुमार इस जाल में नहीं फँसेंगे और जातीय जनगणना के अपने फ़ैसले पर अटल रहेंगे।
पटना से संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट