समस्तीपुर : बिहार में शराबबंदी कानून को और सफल बनाने के लिए सीएम नीतीश कुमार आज समस्तीपुर में समाज सुधार अभियान कार्यक्रम कर रहे हैं. अभियान की यह पांचवीं यात्रा है. गुरुवार की सुबह करीब 11 बजे वे हेलीकॉप्टर से केंद्रीय विद्यालय मैदान पहुंचे. उनके साथ शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी भी हैं. यहां नीतीश कुमार ने पहले फोटो गैलरी का अवलोकन किया उसके बाद जिला प्रशासन व विभिन्न विभाग की ओर से आयोजित झांकियों को देखा. इसके बाद वह दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की.
वहीं नीतीश कुमार ने दरभंगा प्रमंडल के विभिन्न जिलों में आईं जीविका दीदियों के स्टॉलों का निरीक्षण भी किया. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने ‘समाज सुधार अभियान’ की शुरुआत 22 दिसंबर से मोतिहारी से की थी. इसके बाद वह 24 को गोपालगंज, 27 को सासाराम, 29 को मुजफ्फरपुर और उसके बाद 30 दिसंबर को आज समस्तीपुर के पटेल मैदान पहुंचे हैं. कार्यक्रम को मधुबनी, समस्तीपुर व दरभंगा की जीविका दीदियों रीता देवी, शहनाज खातून, सुमित्रा देवी आदि ने हिंदी व मैथिली भाषा में शराबबंदी से होने वाली फायदों को बताया. साथ ही अपने-अपने घर परिवार की दयनीय हाल से खुशहाली तक की सफर को सुनाया.
शराबबंदी के फायदे बताए
कार्यक्रम में जीविका दीदियों के बाद डीजीपी एसके सिंघल, मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा, मंत्री रामप्रीत पासवान, विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, मंत्री सम्राट चौधरी आदि ने नीतीश कुमार के ‘समाज सुधार अभियान’ के बारे में विस्तार से बताया. इस दौरान सबने लोगों से नशा नहीं करने का आग्रह किया. साथ ही दलित समाज के लोगों से आग्रह किया कि वे दारू का सेवन नहीं करें. दारू आप नहीं छोड़ेंगे तो आपको समाज पसंद नहीं करेगा. ताड़ी को दिन में लोग धूप लगाकर पीते हैं जिसमें नशा होता है. पीना है तो नीरा बनाकर पीएं. जीविका दीदियों से आग्रह किया कि समाज के लोग शराब में लिप्त रहते हैं उन्हें अपने प्रयास से जरूर जागरूक करें. अगर नहीं मानते हैं तो उनके घर का घेराव करें.
उन्होंने बताया कि वे समाज सुधार अभियान के समपन्न होने के बाद समीक्षा यात्रा करेंगे, जिसमें सभी अधिकारी समेत एमएलए और एमपी भी अपनी बात रख सकेंगे. वहीं, शराबबंदी कानून की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कभी-कभी मुझे लगता था कि ये जो शराबबंदी है, पता नहीं मैं इसे लागू कर पाऊंगा भी या नहीं.
पुराने दिनों को किया याद
पुराने दिनों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसे (शराबबंदी कानून) 1977 में कर्पूरी ठाकूर ने लागू किया था. लेकिन उनके सरकार में से हट जाने के बाद दूसरे लोग आए और कानून को हटा दिया. ऐसे में मुझे भी डर लगता था कि इस कानून को लागू कर पाएंगे या नहीं. लेकिन इसी दौरान एसके मेमोरियल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने मांग किया कि शराब बंद कर दीजिए. मुझे सुनाई नहीं दिया लेकिन वो कुछ बोल रही थी. मैंने लोगों से पूछा कि क्या बोल रही हैं. तो लोगों ने बताया कि वे शराबबंदी की मांग कर रही हैं. ऐसे में हम वापस मंच पर गए और अगले कार्यकाल में कानून लागू करने की घोषणा कर दी.
मुख्यमंत्री ने केके पाठक की तारीफ की
मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून को लागू करने के दौरान केके पाठक को जिम्मेदारी सौंपी गई. आज भी केके पाठक ही इसकी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. आज भी ये अच्छा काम कर रहे हैं. कोई भी जब अच्छा अभियान चलाएगा तो उसमें कुछ खराब लोग होते ही हैं, जिसका काम है घचपच करना, उसमें खामिया निकालना. इसका नतीजा हुआ कि शराब बनाकार पिलाया गया और 40 लोग मर गए. इसके बाद हमने सोचा की फिर से एक बार इसके ऊपर अभियान चलाना जरूरी है.
लालू शासनकाल पर साधा निशाना
संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने लालू राज की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि पहले क्या स्थिति थी, आप बताइए. कभी घर से बाहर लोग निकलते थे क्या? लोगों में एक डर रहता था. लोग डर के मारे बाहर नहीं निकलते थे. लेकिन अब कोई चिंता वाली बात नहीं है. जब हम सरकार में आए तो सबसे पहले महिलाओं के लिए काम किया. पंचायत चुनाव में महिलाओं को आरंक्षण दिया. लड़कियों को साइकिल दिया. वे घर से स्कूल जाने लगीं. मैट्रिक के बाद बाजार तक भी लड़कियां साइकिल चलाकर जाने लगी. फिर बाद में लड़कों ने भी मांग किया, उन्हें भी साइकिल दी गई.