आरा : जहां आज पूरा देश वैश्विक महामारी (कोविड-19) कोरोना वायरस जैसी बीमारी से जूझ रहा है. जिसको लेकर लोग दहशत भरी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं. तो वहीं दूसरी ओर भोजपुर से एक अजीबो गरीब खबर सामने आ रही है. जहां पीरो अनुमंडल अंतर्गत तरारी गांव के एके बगीचे में दो सौ साल से पेड़ों पर रह रहे सैकड़ों चमगादड़ की अचानक मौत हो गई. चमगादड़ की मौत की सूचना मिलते ही पूरे गांव में दहशत का माहौल कायम हो गया है. इस हादसे के बाद लोग दहशत के मारे गांव छोड़ इधर-उधर जाने को मजबूर हो गए हैं.
वहीं इसकी सूचना मिलते हीं भोजपुर जिले के मेडिकल जांच की टीम तरारी पहुंच मौत के कारणों का गहनता से निरीक्षण किया. इसके बाद मेडिकल टीम के द्वारा मृत चमगादड़ो का सैंपल लेकर जांच के लिए पटना भेजा गया है. इधर, तरारी के पशु चिकित्सक मनोज कुमार ने ज्यादा तापमान के कारण मौत होने की आशंका जताई है. बताया जाता है कि गांव के पेड़ों पर रह रहे सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ की अचानक मौत होकर पेड़ से गिरने के बाद लोगों में चर्चा के विषय बन गया है इसके बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना तरारी के भ्रमणशील पशु चिकित्सक सुनील कुमार को दिया. जिसके बाद मेडिकल जांच टीम तरारी पहुंची.
वहीं जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. सिद्धनाथ राय ने बताया कि ग्रामीणों से सूचना मिलने पर हमारे द्वारा चार सदस्य डॉक्टरों की टीम घटनास्थल पर पहुंच कर जायजा लिया. इसके बाद उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल कटाई के बाद जो उनका बचा अवशेष था. उसे गांव वालों के द्वारा आग लगाकर जलाई गई थी. जिसके कारण वातावरण प्रदूषित हो गया था. जिसके पश्चात मौसम भी काफी गर्म थी और लू भी चल रही थी. उसी के कारण विशेष प्रकार की चमगादड़ की मौत हो गई. चमगादड़ों की संख्या लगभग सौ थी. इसके बाद मृत्य आपदा नामक संस्थान के तहत उनका सैंपल कलेक्शन करने के बाद प्लास्टिक के बोरे में सील कर दिया गया. उसे लगभग छह फीट डीप गड्ढे में खोदकर प्रोसेस के तहत सिनेटराइज एवं चुनाव करके दफन किया गया. इसके पश्चात लिए गए सिंपल को प्रोसेस के तहत विशेष जांच घर राज्यस्तरीय लैब भेजा गया.

हालांकि प्रथम दृष्टया से माने तो गर्मी के कारण उनकी मौत हुई है. लेकिन उनका जो सैंपल जांच के लिए पटना भेजा गया है उसका रिपोर्ट आने के बाद ही रिपोर्ट के आधार पर मौत के सही कारण का पता चल पाएगा. इसके साथ ही हमारे पशु चिकित्सक के द्वारा बताया गया कि मृत्य चमगादड़ का वजन लगभग ढाई सौ से तीन सौ ग्राम का था. इस तरह के प्रजाति तो हमलोगों ने भी कभी नहीं देखा है और कुछ पेड़ पर इससे भी अधिक वजन के प्रजाति थे.
उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के पूर्वजों के बताए जाने के अनुसार गांव में देवी मां के प्रांगण स्थित पीपल के पेड़ पर काफी की संख्या में चमगादड़ रहते थे. पेड़ नष्ट हो जाने के बाद स्कूल के समीप में तरारी में चमगादड़ सौ साल से भी ज्यादा समय से रहते आ रहे हैं. मेडिकल टीम में अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी डॉ. राजनारायण, डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. आशुतोष कुमार और डॉ. शोभा कुमारी शामिल थे.
राकेश कुमार की रिपोर्ट