रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के रवैए को लेकर कांग्रेस नेताओं का आक्रमक रूख चिंतन शिविर के तीसरे दिन भी देखने को मिला. झारखंड सरकार में स्वास्थ्य मंत्री व जमशेदपुर से विधायक बन्ना गुप्ता ने सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ बगावत कर दिया है. कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में हिंदी की अनदेखी का सवाल उठाते हुए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि हमारी हालत वैसी हो गई है कि जब माझी ही नाव डुबोए तो उसे कौन बचाए. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सीधा निशाना साधते हुए बयान दिया कि मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी को समाप्त करना चाहते हैं.
कांग्रेस का वोट बैंक जेएमएम में शिफ्ट करने की कोशिश
बन्ना गुप्ता ने कहा कि पार्टी का पूरा वोट बैंक जेएमएम की तरफ शिफ्ट करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में ऐसी सोच वाली गठबंधन सरकार का कोई औचित्य नहीं बनता है. बन्ना गुप्ता ने साफ कहा कि जब पार्टी नहीं बचेगी तो हम भी नहीं बचेंगे. बन्ना गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की विचाराधारा और सिद्दांत कभी कमजोर नहीं होने देना है और राष्ट्रभाषा के साथ कभी समझौता नहीं किया जा सकता है. जिस दिन ऐसा समझौता करना पड़ेगा, तो उनके जैसा क्रांतिकारी विचारधारा वाला व्यक्ति उसी दिन इस्तीफा देने पर विचार करेगा.
जमशेदपुर में मैंने कैसा इतना वोट जुटाया हम ही जानते…
बन्ना यहीं नहीं रुके. बोले – हम मंत्री बनकर घूम रहे हैं तो हमें भी अच्छा लग रहा है, लेकिन जमशेदपुर जैसे शहर में हमने कैसे इतने वोट जुटाए वह हम ही जानते हैं. हमें अपनी विचारधारा और सिद्धांत से कभी समझौता नहीं करना चाहिए. उन्होंने इसके लिए कहा कि हम कोआर्डिनेशन कमेटी के माध्यम से ही झामुमो को घेर सकते हैं.
कांग्रेस ने भाजपा को थमा दिया एक बड़ा मुद्दा
उल्लेखनीय है कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार इस समय कांग्रेस के समर्थन से चल रही है. कैबिनेट मंत्री होते हुए बन्ना गुप्ता का यह बयान सरकार के लिए कई तरह की मुश्किलें खड़ी कर सकता है. इस बयान ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है. अब भाजपा इस बयान के सहारे हेमंत सोरेन सरकार को घेर सकती है. इतना ही नहीं कांग्रेस के लिए भी असहज स्थिति पैदा कर सकती है.
मंत्री को इसलिए सता रही चिंता
मालूम हो कि हेमंत सोरेन सरकार ने जिला स्तरी पर सरकारी नौकरी के लिए कुछ नए नियम बना दिए हैं. स्थानीय भाषाओं की सूची जारी की गई है, इसमें कई भाषाएं शामिल नहीं हैं. झारखंड में यह भाषाएं जो लोग ज्यादा बोलते और जानते हैं, वह कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियों के परंपरागत मतदाता माने जाते हैं. सरकार की इस कवायद से झामुमो को फायदा तो होगा, लेकिन इस फैसले का विरोध नहीं करने से भाजपा और कांग्रेस को भी लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा. यही वजह है कि बन्ना गुप्ता ने जमशेदपुर के वोटरों का हवाला देते हुए अपनी परेशानी सामने रखने की कोशिश की है. अब देखना यह है कि इस पर झामुमो की क्या प्रतिक्रिया सामने आती है.
गौरी रानी की रिपोर्ट