नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मध्यप्रदेश के रीवा में स्थित विश्व की बड़ी सौर परियोजनाओं में शामिल रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया है. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए इस परियोजना का लोकार्पण किया. इस परियोजना को विश्व बैंक का ऋण राज्य शासन की गारंटी के बिना क्लीन टेक्नालॉजी फण्ड के अंतर्गत सस्ती दरों पर दिया गया है. यह परियोजना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें प्रति यूनिट की क्रय दर दो रुपए 97 पैसे है, जो अब तक की न्यूनतम दर है. सौर परियोजना को पयार्वरण की दृष्टि से देखे तो रीवा सौर परियोजना से प्रतिवर्ष 15.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के उर्त्सजन को रोका जा रहा है जो दो करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज रीवा ने वाकई इतिहास रच दिया है. रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम से और सफेद बाघ से रही है. अब इसमें एशिया के सबसे बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए मैं रीवा के लोगों को, मध्य प्रदेश के लोगों को, बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं. रीवा का ये सोलर प्लांट इस पूरे क्षेत्र को, इस दशक में ऊर्जा का बहुत बड़ा केंद्र बनाने में मदद करेगा.
उन्होंने कहा कि इस सोलर प्लांट से मध्य प्रदेश के लोगों को, यहां के उद्योगों को तो बिजली मिलेगी ही, दिल्ली में मेट्रो रेल तक को इसका लाभ मिलेगा. इसके अलावा रीवा की ही तरह शाजापुर, नीमच और छतरपुर में भी बड़े सोलर पावर प्लांट पर काम चल रहा है. ये तमाम प्रोजेक्ट जब तैयार हो जाएंगे, तो मध्य प्रदेश निश्चित रूप से सस्ती और साफ-सुथरी बिजली का हब बन जाएगा. इसका सबसे अधिक लाभ मध्य प्रदेश के गरीब, मध्यम वर्ग के परिवारों को होगा, किसानों को होगा, आदिवासियों को होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि सौर ऊर्जा आज की ही नहीं बल्कि 21वीं सदी की ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा माध्यम होने वाला है. क्योंकि सौर ऊर्जा, Sure है, Pure है और Secure है. जैसे-जैसे भारत विकास के नए शिखर की तरफ बढ़ रहा है, हमारी आशाएं-आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे हमारी ऊर्जा की, बिजली की ज़रूरतें भी बढ़ रही हैं. ऐसे में आत्मनिर्भर भारत के लिए बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है. जब हम आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, प्रगति की बात करते हैं तो अर्थव्यवस्था उसका एक अहम पक्ष होता है. पूरी दुनिया के नीति निर्माता बरसों से दुविधा में है, कि अर्थव्यवस्था की सोचें या पर्यावरण की.
उन्होंने कहा कि आज आप देखेंगे कि सरकार के जितने भी कार्यक्रम हैं, उनमें पर्यावरण सुरक्षा और जीने में आसानी को प्राथमिकता दी जा रही है. हमारे लिए पर्यावरण की सुरक्षा सिर्फ कुछ प्रोजेक्ट्स तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये ज़िंदगी का तरीका है. जब हम नवीकरणीय ऊर्जा के बड़े प्रोजेक्ट लॉन्च कर रहे हैं, तब हम ये भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि साफ-सुथरी ऊर्जा के प्रति हमारा संकल्प जीवन के हर पहलू में दिखे. हम कोशिश कर रहे हैं कि इसका लाभ देश के हर कोने, समाज के हर वर्ग, हर नागरिक तक पहुंचे.
LED बल्ब से बिजली का बिल कम हुआ
प्रधानमंत्री ने कहा कि LED बल्ब से बिजली का बिल कम हुआ है. इसका एक और महत्वपूर्ण पहलू है. LED बल्ब से करीब साढ़े 4 करोड़ टन कम कार्बनडाइअकसाइड पर्यावरण में जाने से रुक रही है, यानि प्रदूषण कम हो रहा है. बिजली सबतक पहुंचे, पर्याप्त बिजली पहुंचे. हमारा वातावरण, हमारी हवा, हमारा पानी भी शुद्ध बना रहे, इसी सोच के साथ हम निरंतर काम कर रहे हैं. यही सोच सौर ऊर्जा को लेकर हमारी नीति और रणनीति में भी स्पष्ट झलकती है. बिजली सबतक पहुंचे, पर्याप्त बिजली पहुंचे. हमारा वातावरण, हमारी हवा, हमारा पानी भी शुद्ध बना रहे, इसी सोच के साथ हम निरंतर काम कर रहे हैं. यही सोच सौर ऊर्जा को लेकर हमारी नीति और रणनीति में भी स्पष्ट झलकती है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारत में सोलर पावर पर काम हो रहा है, ये चर्चा और बढ़ने वाली है. ऐसे ही बड़े कदमों के कारण भारत को क्लीन एनर्जी का सबसे आकर्षक बाजार माना जा रहा है. दुनिया की, मानवता की, भारत से इसी आशा, इसी अपेक्षा को देखते हुए, हम पूरे विश्व को जोड़ने में जुटे हुए हैं. इसी सोच का परिणाम आइसा यानि इंटरनेशनल सोलर अलायंस है. वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड, के पीछे की यही भावना है.