RANCHI: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में आज की खत्म हो गई है. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सभी पक्षों के अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. राज्य सरकार की ओर से की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल बहस कर रहे थे. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 30 जून को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका:
इससे पहले याचिका सुनवाई योग्य नहीं है यह कहते हुए हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को याचिका के मेंटेवलटी पर सुनवाई करने का निर्देश दिया था. उसके बाद हेमंत सोरेन से संबंधित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने उस याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए उसकी विस्तृत सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की. इसके बाद राज्य सरकार और हेमंत सोरेन की ओर से हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई लंबित है. अभी तिथि निर्धारित नहीं की गई है।
क्या है पूरा मामला:
आपको बता दें कि मनरेगा में हुई वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़े पीआईएल पर सुनवाई के दौरान ईडी ने झारखंड हाईकोर्ट में एक सीलबंद लिफाफा पेश किया था. ईडी की दलील थी कि उसके पास शैल कंपनी से जुड़े कई अहम साक्ष्य हाथ लगे हैं. लिहाजा, सीएम से जुड़े खनन पट्टा और शेल कंपनी से जुड़े पीआईएल को भी एक साथ सुना जाना चाहिए. ईडी के स्टैंड को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों केस के मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए झारखंड हाई कोर्ट को आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में खनन लीज से जुड़े पीआईएल संख्या 727 और शल कंपनी से जुड़े पीआईएल संख्या 4290 को मेंटेनेबल बताया है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद दोनों केस के मेरिट पर सुनवाई का रास्ता साफ हो गया था.
रांची से गौरी रानी की रिपोर्ट