नई दिल्ली : वसूली कांड के आरोपों पर बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र के गृहमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है. बॉम्बे हाईकोर्ट की तरफ से सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ गुहार लगाने वाले अनिल देशमुख की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया. इस मामले पर सुनवाई के समय अनिल देशमुख की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए. जबकि, परमबीर सिंह के लिए मुकुल रोहतगी और महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रखने के लिए अभिषेक मनु सिंघवी और जयश्री पाटिल के लिए साल्वे आए. इस दौरान आइए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अनिल देशमुख की बातों को सुना जाना चाहिए था.
अनिल देशमुख के वकील कपिल सिब्बल ने कहा- मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं
अभिषेक मनुसिंघवी- 21 मार्च को वकील जयश्री पाटिल ने शिकायत दी. 23 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी. बाद में परमबीर ने भी फ़ाइल किया. 31 मार्च को सिर्फ इस पहलू की सुनवाई हुई कि याचिकाएं सुने जाने लायक हैं या नहीं. लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित कर दिया. हमें ठीक से जिरह का मौका ही नहीं दिया गया.
‘कोर्ट के आदेश के बाद गृहमंत्री का पद छोड़ा’
सिंघवी- वह गृह मंत्री नहीं हैं.
जज- उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश के बाद पद छोड़ा.
सिंघवी- लेकिन मामला CBI को इसलिए दिया गया कि वह गृह मंत्री हैं. अब उन्होंने पद छोड़ दिया है.
सिंघवी- जब राज्य सरकार ने आयोग बनाया तो उन्होंने पद छोड़ दिया.
जस्टिस हेमंत गुप्ता- जी नहीं, उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस्तीफा दिया.
जस्टिस कौल- यहां कोई किसी का शत्रु नहीं है. आरोप गंभीर हैं,. आप जांच होने दीजिए.
सिंघवी- महाराष्ट्र ने CBI के लिए जेनरल कंसेंट वापस ले रखा है. राज्य सरकार को सुना जाना चाहिए था.
‘निष्पक्ष जांच है जरूरी’
जस्टिस कौल- 2 बड़े पद पर बैठे लोगों का मामला है. निष्पक्ष जांच ज़रूरी है.
सिब्बल- मुझे (देशमुख को) सुना जाना चाहिए था.
जस्टिस गुप्ता- क्या आरोपी से पूछा जाता है कि FIR हो या नहीं?
सिब्बल- बिना ठोस आधार के आरोप लगाए गए.
जस्टिस कौल- यह आरोप ऐसे व्यक्ति का है जो गृह मंत्री जा विश्वासपात्र था. अगर ऐसा नहीं होता तो .उसे कमिश्नर का पद नहीं मिलता. यह कोई राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का मामला नहीं है.